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________________ श्रीपाल के जम्मका वर्णन | [ १८ राजाने भी रातीको उचित सम्मानपूर्वक अपने निकट अ सिहासन पर स्थान दिया, और स्वप्नका वृतांत सुनकर कहा' हे प्राणवल्लभे । तेरे इस स्वप्नका फल अति उत्तम है अर्थात् आज तेरे गर्भ में महातेजस्वी, घोर, वोर, सकल गुण निधान, चरमशरीरी नररत्न आया है। पर्णत देखा, इसका फल यह है कि ते पत्र बड़ा गंभीर, साहसी, पराक्रमी और बलबान होगा, तथा उसका सुवर्ण सरीखा वर्ण होगा । और कल्पवृक्ष देखा है इससे यह बहुत ही उदारचित्त, दानों, दीन जन प्रतिपालक और धर्मश होगा | तात्पर्य कि तेरे गर्भ से सर्वगुण सम्पन्न मोक्षगामी पुत्ररत्ना होगा। इस प्रकार दम्पत्ति ( राजारानी) स्वप्नका फल जानकर बहुत प्रफुल्लित हुये, सुखपूर्वक कालक्षेप करने लगे । * = := श्रीपाल के जन्मका वर्णन दो यजके चन्द्रके समान गर्भ दिनोंदिन बहने लगा, और बाह्य चिन्ह भी प्रगट होने लगे, जिससे शरीर कुछ पीलासा दिखने लगा, कुछ उन्नतरूप और दुग्धपूरित हो गये, नेत्र हरेर हो गये, और दिनोंदिन रानीको शुभ कामनायें दोहला (इच्छा ).. उत्पन्न होने लगीं। इस प्रकार आनन्दपूर्वक दस मास पूर्ण होनेपर जिस प्रकार पूर्व दिशा में सूर्यका उदय होता है, उसी प्रकार रानी कुन्दप्रभा के गर्भ से शुभ लग्न में पुत्ररत्नकी प्राप्ति हुई । जन्मते ही दुर्जन पुरुषों व शत्रुओके घर उत्पात होने लगे, और स्वजन, सज्जन, पुरुजनो के आनन्दकी सोमा न रही। घरोघर नगर में आनन्द वधाइयां होने लगीं, स्त्रियां मंगलगान करने लगीं, याचकों (भिखारी) को इतना दान दिया गया किर :
SR No.090465
Book TitleShripal Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeepchand Varni
PublisherShailesh Dahyabhai Kapadia
Publication Year
Total Pages188
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size3 MB
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