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पति वा सोमवा बोलो
... १४४] ..... भोपाल पारित: . . .
... जिह्न भोफल नहीं चाखिया, तान काचरा मोठ ॥४॥ . .तर पांचवीं सोमकला बोली. लमस्या-'काम पियाऊ बोर' ॥ पूर्ति-रावण विद्या साधियो, दशमुख. एक शरार।
भाई संशय. पड़ रहा, कास. पिवाऊ खोर ॥५॥ त छठ ममिरेखा बोलो
ममस्या - सो मैं कह न होट' ।।६।। पुति साता सागर हूं फिरा, जम्बूदीप पईछ ।
शांत पराई. जा करे, सो मैं कहूँ न दीठ ।।६।। तब सातवों संपदादेवा बोली
समस्या-'काई विठियो तेण' ।।७। पूति-कुन्तो जाये पंच सुत, पांचों मंत्र सयेण ।
गंधारी सो जाइया, काई विठियों सेण ॥७॥ तब आठवीं पद्मावती बोली
समस्या-'सो त काय करेय' ।। पूर्ति-सत्तर जासु च उगणी, परी पावलो पेय ।
अक्षर पास बइठड़ी, सो तसु काय करेय ||5| +
इस प्रकार जब आठों समस्याओं की पूर्ति हो चुकी तर सब कुटुम्बका बड़ा आनंद हुआ। और तुरत ही शुभ मुहूर्त में । राम यमसेनने अपना सोलहसो गुणवती कन्यायें विधिपूर्वक श्रीपालजीको विवाह दी। श्रीपालजी कुछ दिन तक विवाहके - बाद वहां हो रहे, और सुख से समय व्यतीत किया। पश्चात
+उक्त समस्यायें हनारी समझमें ठीक नहीं आई इसलिये ।। कवि परिमल्लकृत पच ग्रंथों के अनुसार जैसीको तेस्रो ही यहा: बखत कर दी हैं।