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________________ [**3] R नगर में चित्ररेवासे व्याकर नन्द सहित वहां रहने लगे । बोपाल जो श्रीपालका अनेक राजपुत्रियोंसे व्याह 10. [. D एक दिन श्रीपाल चित्ररेखा सहित मधुर भाषण करते हुए बैठे थे, कि कंचनपुरका राजदूत आया और श्रीपाल । जीसे नमस्कार कर बोला "हे स्वामिन्! सुनो, कंचनपुरके राजा वज्रसेन और उनकी रानों कंचनमाला है जिसके गर्भसे सुशील, गन्धवं यशोधर और विवेक ऐसे चार पुत्र बड़े गुणवान और साहसी हुए है । तथा बिलांसमतो आदि नवसी पुत्रियां रूप लावण्यताकार पूर्ण है, सो एक दिन जब राजाने निमित्त ताने सपूछा उसने उनका विवाह आपके साथ होना बताया था, इसलिए आप कृपाकर शीघ्र ही पधारिये । यह सुन श्रीपाल प्रसन्न होकर श्वसुरकी आज्ञा ले कथमपुर गये और वहाँ उन नबसौ कन्याओंके साथ आनंदसे रहने लगे। वहां पर कुछ दिन हो दिन हुए थे कि कुकुमपुरका एक दूत बाया और बोला 1. महाराज ! हमारे यहांका राजा यशसेन महास्वी और पुण्यदान है। उसके गुणमाला आदि चौरासी स्त्रियां हैं और स्वर्णबिम्ब आदि पांच पुत्र तथा शृङ्गारगौरी आदि सोलहसो कन्यायें है उनमें आठ कन्यायें मुख्य है, जो समस्यायें कहतो है। इसलिये जो कोई उनकी समस्याओं की पूर्ति करेगा सो ही उन सबको विवाहेगा | आजतक अनेकों राजपुत्र आये, परन्तु वे उनकी समस्याओ को पूर्ति यथोचित नहीं कर सके इसलिये आप वहां पधारिये यह कार्य कदाचित आपसे हो 1
SR No.090465
Book TitleShripal Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeepchand Varni
PublisherShailesh Dahyabhai Kapadia
Publication Year
Total Pages188
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size3 MB
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