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________________ श्रीपालका वितरणास त्याह । [१४ श्रीपालजीका चित्ररेखासे व्याह . . एक दिन श्रीगलजी अपनी दोनों स्त्रियों सहित निंदमें मग्न हुये बैठे थे कि दरवाने आकर खबर दी कि महाराज ! द्वार पर एक राममनो हद कर रहा है बाझा हो तो तलाव । श्रीपालजीने उसे आनेकी आज्ञा दो, तब वह दूत भातर आया और नमस्कार कर विनयपूर्वक बोला है महाराज ! यहाँसे थोड़ी दूर धन, कण, कंचनसे परि. पूर्ण एक कुण्डलपुर नामका बहुत बड़ा नगर है। यहांका : राजा मकर केतु अत्यन्त दयालु और ऐसा प्रजापालक है कि जिसके राज्यमं कोई दीन दुःखो मिलते ही नहीं है । उस राजाके यहां कपूरतिलका नामको रानाके गर्भसे उत्पन्न चियरेख। नामका एक अत्यन्त अपतती व पोलवती काना! है। सो राजाने एक दिन कन्याको विमवती देखकर श्री. मुनि से पूछा था कि इस कन्याका पर कौन होगा ? तब गुरुने उसका सम्बन्ध आपसे होना बताया है, इस.. लिये कृपाफर आप वहां पधारिये और अपना नियोगिनी कन्याको विवाहिये । मैं बीमानको लेने के लिए ही आया है यह सदेश सुनकर श्रीपालको बड़ा हर्ष हुआ और दूतको बहतसा पारितोषिक दिया । पश्चात् आप अपनी दोनों स्त्रियोंसे विदा होकर कुण्डलपुर गये । दूतने इनको नगर बाहर ठहराकर राजाको समाचार दिया, तो राजा बड़ी सजधबके साथ इनकी अगवानीको आया, और बादरसे नगर में ले गया। पश्चात् इनका कुछ गोत्रादि पूछकर अपनी चित्ररेखा नामकी सुन्दर गुणवती कन्याका विवाह शुभ मुहूर्त में उनके साथ परमेष्ठीयंत्रकी पूजा विधि पुरस्सर बग्नि व पंचकी साक्षीसे कर दिया। सब
SR No.090465
Book TitleShripal Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeepchand Varni
PublisherShailesh Dahyabhai Kapadia
Publication Year
Total Pages188
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size3 MB
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