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________________ नाया । मनमें सोम राजाके यहांसे अलग करा सक्सो ही मैं बन सकगा मन्यमा पद का मुमत नहीं होगा, इसलिए मीत्रयो ! अछ ऐसा ही जमा करनी चाय मंत्री बोले सेठ चिन्ता छोड़ी और उसी दयालु कुमार चौपालों 'म लो तो तमको कुछ भी कष्ट न होगा और यह भेद भी कोई नहीं जानेगा, परन्तु यह बात. सेठको अच्छी न लगी। इतने में उनमें से एक दुष्ट मंत्री बोला:- सेठ ! सिंहके सामने क्या मृग जाकर रक्षा पा सकता है। जिसके साथ बापने मलाईके बदले बुराई को है, सो क्या वह अवसर मलने पर तुमको छो डेगा । नहीं, कभी नहीं छोड़ेगा ! . लिये हमारो रायमें यह आता है कि भांडोंको बुलाकर उन्हें कुछ लच्यका लालच देखकर चबार में भेजो,. में वे श्रीपाल को देखकर बेटा, भाई, पति आदि कहकर . लिपट जाब, जिससे गजा उसे भाड़ोंका पुत्र जानकर प्राणदल है देगा और हम सब बच जावेंगे। कारण यहां तो उसकी शनि पहिचान कुछ है ही नहीं, इसलिये यह बात जम जावेगा। सेठको यह विचार अच्छा मालूम हुआ, इसलिए उसने इसे पसन्द कर लिया, और वह उस मंत्रीको बुद्धिकी सराहना कर कहने लगा-बम, ठोक है । अब इस काम में देरी मत करो कि जिससे शत्रु को अवसर मिल सके, नहीं तो वह न मालूम क्या कर डाले ? यद्यपि साथवालों या अन्य मंत्रियोंने सेठको बहुत समझाया कि देखो, ऐसा काम न करो, नहीं तो पीछे बहुत पछताभोगे, और जो उसका शरण ले लोंगे तो तुम्हारा बाल भी बांका न होने पावेगा। परन्तु कहा है-"जाकी विधि दारुण दुःख देई, ताकि मति पहिले हर
SR No.090465
Book TitleShripal Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeepchand Varni
PublisherShailesh Dahyabhai Kapadia
Publication Year
Total Pages188
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size3 MB
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