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________________ अंगदेश चंपापुरीका वर्णन । [ ९ कमल फूल रहे हैं तथा सारस व हंस आदि पक्षी क्रीड़ा करते हैं, तो कहीं दसोंकी चाल देख बगुला भी उन्हींसे 'मिलना चाहता है, परन्तु कपट भेष होनेके कारण छिप नहीं सकता है । इत्यादि अवर्णनीय शोभा है । उस नगर में बड़े२ उत्तम गगनचुम्बी महल बने हैं, और प्रत्येक महल जिन चैत्यालयोंसे शोभायमान है। चौपड़ के समान बाजार बने हुए हैं जिनमें हीरा, रत्न, माणिक, पन्ना, नीलम पुखराज, आदि अनेक उत्तमोत्तम पदार्थोका वाणिज्य होता है । कहीं कपडेकी गांठें दृष्टिपात हो रही हैं, कहीं विसातखाना चल रहा है, कहीं फलफूल मेवोंका और कहीं अनाजका बेर है | इस प्रकार बाजार भर रहे हैं । इम नगर में बडेर विद्वान पण्डित, कवि आदिका निवास है । कहीं वेदध्वनि होती हैं, कहीं शास्त्र संवाद चल रहा है, कहीं पुराणी पुराणका कथन करते हैं. कहीं विद्यार्थी पाठशाला में अध्ययन करते हैं, मानो यह विद्यापुरी ही है । जहां इति भीति देखने में नहीं लाती है । चारों वर्णके मनुष्य जहां अपने‍ कुलाचारका पालन करते हैं । सभों लोग प्रायः सुखा दृष्टिगत होते हैं, मिझुक सिवाय परम दिगम्बर मुद्रायुक्त अयात्रीक वृत्तिके धारी मुनियोंके अतिरिक्त कोई भी दृष्टिगोचर नहीं होते । जहां सदैव परम दिगम्बर मुनियोंका विहार होता रहता है और श्रावकगण मुनियोंके आने की प्रतिक्षा करते रहते हैं, जो अपने निमित्त तैयार की हुई रसोई में से हो नवधा भक्तिपूर्वक आहारदान देकर पीछे आप भोजन करते हैं। वे सब द्विजवणं श्रावक दातारके सप्त गुणोंके धारक और श्रावकको क्रियामें अति निपुण हैं । इस प्रकार यह चंपाखुरीकी ऐसी शोभा है मानों स्वर्गपुरी ही उतर आई है ।
SR No.090465
Book TitleShripal Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeepchand Varni
PublisherShailesh Dahyabhai Kapadia
Publication Year
Total Pages188
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size3 MB
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