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[श्रीपाल चरित्र पञ्चम परिच्छेद सुख स रहने लगा । वह कोटमः गुरामाही, णो को शाता था, विशेषरूप से दया तत्पर था। महान था । इस प्रकार सुख शान्ति से समय चला जा रहा था कि उसी समय अन्य ही कथा प्रारम्भ हुयी । जिसका वर्णन अगले परिच्छेद में आचार्य करने वाले हैं ।।२०५ से २०६।। ।।इति श्रीसिद्धचक पूजातिशय प्राप्ते श्रीपालमहाराज चरिते भट्टारक श्री सकलकोति
आचार्य विरचिते श्रीपालमहाराज विघ्न निवारण गुणमाला विवाह वर्णन नाम पञ्चमः परिच्छेदः श्री पञ्चगुरुभ्यो नमः शुभम् "प्रस्तु
शान्तिरस्तु।।