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________________ [श्रीपाल चरित्र द्वितीय परिच्छेद नामक क्षेत्र हैं । भरत क्षेत्र में तीर्थंकरों का जन्म होता है स्वर्ग से आकर देव देवियाँ सहित इन्द्र भगवान् का जन्मोत्सव मनाते हैं। भगवान् के जन्म समय तीनों लोकों के चारों गतियों में स्थित जीवों को नियम से एक निमिष मात्र को शान्ति प्राप्त होती है--सुख मिलता है । यहाँ की जनता धन, जन, ज्ञान, विज्ञान, कला, साहित्यादि से सम्पन्न हैं । अतः यह अबन्ति देश ही मानों सज्जन-सत्पुरुष हो ऐसा प्रतिभाषित होता है । वह जन-जन के मन और नयनों को महानन्द का प्रदाता था। यो देशः पतनामः पुरैः खेटैमडम्बकेः । संवाहनादिभिनित्यं वभौ चक्कीब राजभिः ॥४॥ अन्वयार्थ--(य:) जो (देशः) देश (नित्यं) सतत् (पत्तन:) रत्नदीपों (ग्रामैः) गांवों ( पुरैः) नगरों (खेटेमैडम्बक:) खेट, मटम्ब (संवाहनादिभिः) संवाहन (समुद्र तट पर वसा नगर) आदि द्वारा परिवेष्टित (राजभिः) अनेक. राजाओं से वेष्टित घिरा हुआ (ची) चक्रवर्ती राजा के (इव) समान (वभौ) सुशोभित था । सरलार्थ वह अवन्ति देश, रत्नद्वीप, गाँव, नगर, खेट, मटम्ब संवाहनादि से परिमण्डित था अतः ३२ हजार मुकुटबद्ध राजाओं से घिरे हुए चक्रवर्ती राजा के समान वह प्रतीत होता था। भावार्थ पत्तन, प्रामादि का लक्षण पहले ही लिखा जा चुका है । उस अवन्ति देश में अनेक पतन, ग्राम खेट, कडम्ब और संवाहन थे। जिस प्रकार चक्रवर्ती राजा के अधीन अनेकों छोटे-मोटे राजा रहते हैं । उसी प्रकार इस देश के प्राधय में रहने वाले अनेकों ग्रामादि थे । अत: यह चक्री-षट् खण्डाधिपति के समान प्रतिभासित होता था। वह अपने सौन्दर्य से सबका मन मोहित कर लेता था । धन-धान्य सम्पन्न था । अर्थात् इस देश में कोई दीन, दरिद्री दुग्धी, भिखारी नजर नहीं आता था। उक्तं च ग्रामो प्रकृत्या वृत्तिस्स्यान्नगर मुरु चतुर्गोपुरोद्भासि सालं खेटं नद्रि वेष्टयं परिवृत अभितः खर्वट पर्वतेन ग्रामैयुक्तं मडम्बं यलितदशशतः पत्तनं रत्न योनिद्रोणाख्यं सिन्धु बेला वलय बलयितु संवाहनं चादिरढम् ॥५।। अन्वयार्थ----(प्रकृत्यावृत्तिः) स्वभाव से जो वृक्ष कांटों आदि से घिरा हो (ग्राम:) वह नाम है । (उरु) विशाल (चतुर्गोपुरोद्भासि) चार गोपुर द्वारों से मण्डित वह (नगरम् )
SR No.090464
Book TitleShripal Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathulal Jain, Mahendrakumar Shastri
PublisherDigambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages598
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size16 MB
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