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________________ ध्ययने IAL प्रतिक्रमणा / चिट्ठति,जत्य निहुनि महादशा मायनि,जाय मोपनी दकम्बखया मोयति,जत्थ मोदनि(पमायनि)जै च हेटा भनिता अपमादान-ईपिधिकी मित, इदमपि अप्रमादार्थमेव, एय मंबंधो इरियाबहियाए कमामि पहिरकमितुं इरियापहियाए विराहणाग 'ईर गनि व्याख्या प्रेरणयोः' ईरणं ईर्या गमनमिन्यथः एना जाता पधिका, ईग्णे पथिका इरियावधिया, कामी, पिराधणा, नीए गच्छन्तम्म पथि जा काइ विराधणा मा इग्यिावहिया । इच्छामि पडिकमितुनि पुचमाणिनं, एस मेखबत्यो इरिमावहिवाए, विस्तरतम् गमणेत्यादि, तन्य इरियावहियाविगधणं एवं गमणं अण्णन्ध, गंतु अच्छनि, पाढादि करेति न मा, मन्त्रा पहच्न ने दम पडिकमति, आगमणे जं नतो निगननि, नत्थवि पडिकममि, न हि गमनागमणे जं पाणकमणं कत, चीजकमणं वा कन, पाणग्रहण दियादी मयिता, बीयरगहणणं बीजा जीवा, न निज्जीवा, एवं ठाविसं मत्रनि, हरितकमणेण वणप्फनिकायो महनो, नया ओसाउत्तिंगपणगदगमट्टीममहामंताणासंकमणे, नन्थ ओसा पसिद्धा, उनिंगा नाम गमगाकिनी बीवा भृमीए सडयं 3 करेंति, कीडियानगरं वा, पणगा पंचत्रष्णो, पणओ उल्लिति बुच्चति, दगमाविया चिस्वालादि, अहया दर्ग- आउक्कामो मट्टि या-पुढविकाओ मकडगममाण ओ-कोलियगजालं तेमि संकमण ने भंदा दमिता, केतियं वा मणिहामिति समासेण भणति, कि पहुणा ?. जे मे जीवा बिराहिया एगिंदिया जाब पंचिंदिपा, अभिहना नाम आवडिना आडिता या बलणादिणा बिना जया अक्कता, वनिया नाम पुजीकता, अहबा पूलीए निक्वल्लेण वा ओहाडिना, लिमिता पिडा, हवा भृमीए कुडादिमु षा: ॥७२॥ साइया, मपानिना-गनाणि परोप्परं लाइनाणि, मंत्रहिना ईमिनिन्छित्ता, परितापिता-दुक्याविना, किलामिना-किविजीवितIPसेमा क्या महवा ममुग्धानं नीना, उपविना उपद्रविना उन्नामिना वा, ठाणाओ गाणं संकामिया अण्णाओ ठाणाओ अण्णा PAON उसक
SR No.090463
Book TitleAgam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam
PublisherRushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
Publication Year1986
Total Pages328
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Biography, Story, & agam_aavashyak
File Size9 MB
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