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________________ : प्रतिक्रमया 181 मावणा १-४ । अहावरा पंचमा मावणा- वहसमिए में निर्गथे, जह मणे तह वईवि जाव वइसमिते से निग्गति पंपमा भावणा महाव्रतध्ययने १५ इच्चताहिं पंचहिं भावणाहिं पढ़मं महवतं अहासुतं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्च समं कारणं फासितं पालितं सोभित मावताः वीरितं किट्टितं आराहितं आणाए अणुपालितं मवति १॥ अहावरे दोच्चे महत्वते मुसाबायाओ बेरमणं, तस्स खलु इमाओ पंच | मावणाओ, तत्व खलु इमा पढमा मावणा-हासं परियाणति से निम्नथे, जो य हाससंपउत्ते सिया, आदाणमेयं हाससंपउने से निम्नथे जावज्जेज्जा मुसं बदित्तए, हासं परियाणति से निग्गंथेचि पढमा मवणा २-१ । अहावरा दोच्चा भावणा अणुबीइभासए से निग्गंथेत्ति दोच्चा मावणा २-२ । अहावरा तच्चा मावणा- कोधं परियाणति से निग्गथे, नो य कोवणसीलए सिया है। आदाणमेतं कोधणसीलए से निम्न आवजेज्जा भोसयाई, कोषं रियाणति से निग्गंथेत्ति तच्चा मावणा २.३ । अहावरा चउत्था मावणा- लोम परियाणति से निग्गंथेत्ति चउत्था मावणा २-४ । भयं परियाणति से निग्गथे, नो य भेउरजाइए सिया, आदाणमेयं भेउरजाइए से निग्गंथे आवज्जेज्जा मोसवयणाई, मयं परियाणते से निग्नपत्ति पंचमा मावणा २५। इच्चेताहि | पंचहि भावणाहिं दोच्चं महब्बत अहासुतं तहेब जाव अणुपालियं भवति २॥ अहावरे तच्चे महन्वए अदिण्णादाणाओ वेरमण, ४ ॥१४४॥ तस्स खलु इमाओ पंच मावणाओ भवंति, तत्थ खलु इमा पढमा भावणा-से आगतारेसु वा ६ अणुवीई ओग्गई जाएज्जा, * ॥१४४॥ म तत्थ इस्सरे जाव तेण परं विहरिस्सामो, से आगवारेसु वा (हू) अणुवीयिजओग्गई जाएज्जा से निग्गंथति पढमा भावणा३-१। अहावरे दोच्चे मावणा उग्गइणसीलए से निगये, णो व अणोग्गहणमीलए सिया, जत्थेव ओग्गहणसीलए ओग्गहं तु गेण्हेज्जा तत्व जोगाहणसीलए उग्गह अणुण्णवेज्जा, उग्गहणमीलए से निग्गषेत्ति दोच्चा मावणा ३-२1 अहावरा तरचा मावणा णो SHRESEARN
SR No.090463
Book TitleAgam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam
PublisherRushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
Publication Year1986
Total Pages328
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Biography, Story, & agam_aavashyak
File Size9 MB
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