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नियुक्ती
श्री
MI परिस्समादिभिः अतीव दुल्लभी, आइ-जा सा संसा ठिती कम्माण सा जति विणा सामायितेण कविता एवं सेमावि किन्न खपिति किरणत्रयं आवश्यक नेण विहिणा?, मन्नति-सा किर नन्थ विमसेण परिश्राम्यति, महासंगामसीसगतो विच जोहो महासमुद्दतारीब परिश्रांतारोहणवर ।
चूर्णी चिसविधातादिविघ्नबहुलश्चामा भवति, महाविद्यासाधकबत् , एन्य अतीव परिम्समं मन्नति रोगबोसोदएणं, तमिदाणिं कई उपोद्घाताखदेति । जे तं कम्म उबमामेनि ने जीरा दुविहा- भरिया अभविया य, जे भविधा ते तं गंठी कवि समतिच्छति, केवि ततो
पाचव पडिणियत्तंति, जे अभविया ने निपमा नतो चच पडिणियति, जहा को दढुंनो? पिपीलियाओ बिला जोद्धाइयाओ समा॥ ९९॥
पीओ एग खाणुयं विलग्गेनि, तत्थ जामि पस्खा अस्थि ना उडेति, जामिनधि ता ततो चेव पडिमियनंति, एवं तेमि मविया IPIसा लद्धी, अभचियाण स्थि, नहिं पुण जाहि कह कम्मीचममो कतो', मन्नति| संसारत्थाण जीवाणं दिविहं करणं भवनि, जहा- अहापयतिकरणं अगुवकरणं अणियट्टिकरणं, तिविहे च करणे को दिडतो, जहा तिनि पुरिमा विगालसमयंलि गामाता गाम पत्थिता. तत्थ य अनहि भणियं, जहा-एत्थं भयं, पच्छा ते मणतिसमन्था अम्हे गाणं पलाइतुंति, एवं ते वञ्चिनि ताए चेव अहापबत्तीए गतीए, जहा सरो अत्वमभिलसति तहा तहा अपुल्वं गति उप्पाडीन, जाहे पुण तं दे पत्ता जन्थ त भयं ताटे उभयतो पास पंथम्म दुवे पुरिमा असिहत्यमा जमगसमग पाउम्भूया, नन्थ एगो पुरिमो ने आवतमाणे पामित्ता भीओ पडिनियत्ता, एमो जंपावलसमत्यो मापं घेपिस्ताम्मति तहेब तेसि पलानो, ण य नेहि निन्नों ओलग्गितुं, एगो तन्थ्य ठितो पद्धो, एवामिहाडबी संसारो पुरिससयोक्या तिकिहा संसार रिणो पंथो कम्महिनी बहुता भयन्धाणं गांठदमो तस्करा गगदोसा, पतीवगामी गठिदसमासादेऊप पुणो अणिहरिणामो कम