________________ સારસ્વતિબહેન મણીલાલ શાહ खिसचित्त निगथि निगथे निण्हमाणे वा अवलंबमाणे वा णाइक्कमइ // 10 // एवं दित्तचित्तं // 11 // जक्खाइटुं० // 12 // उम्मायपतं० // 13 // उवसमापन णिग्गथि विगये गिण्हमाणे वा अवलंबमाणे वा नाइक्कमइ // 14|| साहिगरण ||15|| सपायच्छिन्नं // 16 // भत्तपाणपडियाइक्खियं // 17 // अट्ठजाय निगथि णिग्गये निण्डमाणे वा अवलंबमाणे वा माइक्कमइ // 18 // छ कप्पम्स पलिमंच पन्नत्ता, न जड़ा-कोइए संजमस्स पलिमंधू 1, मोहरिए सच्चवयणस्स पलिमंयू 2, तितिणिए एसणागोपरस्स पलिमंधू 3, चक्खुलोलए इरियाचहियाए पलिमंथू 4, इच्छालोलुए मुत्तिमग्गस्स पलिमंथू 5. मिज्जाणियाणकरणं सिद्धिमग्गस्स पथिमंथ, सव्वत्य भगवया अणियाणया पसत्या 6 // 19 // छबिहा कप्पट्टिई पण्णता तंजहा-सामाइय संजयकापट्टिई 1, छओवट्ठावणियसंजयकप्पष्ट्रिई 2, णिब्धिसमाणकप्पट्टिई 3, णिचिटकाइयकापट्टिई 4, जिणकप्पट्टिई 5, थेरकप्पटिई 6, त्ति बेमि // 20 // / / कप्पस्स छटो उद्देसो समयो // 6 // // इति श्री-बृहत्कल्पसूत्रस्य / मूलपाठः समाप्तः॥ સરસ્વતિબહેન મણીલાલ શાહ