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वर्तमान काळे यही सो वर्षनी आपुष्यवाळो मनुष्य पूर्ण आयुष्यवाको कद्देवाय छे, तेम हूं. पण त्या पूर्ण मायुष्यवानो देव हतो. तेमा ( या ) जे (पाली) पालि भने (महापाली) महापालि एवी (परिससश्रोत्रमा ) सो सो वर्षे एक एक केशनो उद्धार करीए एवी उपमावाळी ये प्रकारना ( दिव्याः दीव्य-देवभव संबंधी स्थिति छ, तेमाथी (सा.) ते महापालि नामनी भारी दीन्य स्थिति हती. एटले दश सागरोपमनी स्थिति इती.. अहीं पालि एटले. पाळना जेची पाळ. जंमधाळ जळने धारण करी राखे के तेमा पालि पण जीवित रूपी जळने धारणा करी राखे छे, श्र | भवस्थिति कहेवाय छे. तेमां पालि एटले पल्योपमनी स्थिति भने महापालि एटले सागसेपमनी स्थिति जाणवी. २८. * (पालाना दृष्टांत पन्योपमनी स्थिति कही छे ते पालि समजबी.) से चुए बंभलोआओ, भाणुस्सं भवमार्गओं। अप्पणो अपरेसिं च, आउं जाणे जहा तेहा ।। २६ ।।
अर्थ-(से) ते ई (बंभलोपात्रो ) प्रश्नदेवलोक थक्री (चुए) पथ्यो थको (माणुस्स ) मनुष्य संबंधी ( भवं ) 9 भवने (आगो ) पाम्यो छु. तथा ( अप्पणो ) पोतार्नु (च) अने (अपरेसि ) वीजा जीवोनुं (जहा) जे प्रकार | ( पाउं) आयुष्य होय (तहा) ते प्रकारे ( जाणे ) हु जाणुं छ. जेनुं जे प्रकारे-जेटलुं श्रायुष्य होय तेनुं तेज प्रकारे-तेटलु
हुँ जाणुं छु, पण विपरीतपणे जाणतो नधी. २६. ____ा प्रमाणे चत्रिय मुनिए पूछया विना पण प्रसंगी पोनानो पञ्चात कझो, हवे उपदेश भापवाने माटे कहे छ.