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कर्मनी पण जघन्य स्थिति अंतर्मुहूर्तनी कही, परंतु अन्य स्थळे तो बार सहर्तनी कहेली के ते कषाय सहिमने पाश्री कहेली छे एम जाणवू. ते शिवे रुगुं छे के..लोकसामिपार महुचा जहम अणिए " एटले "अकपायी जीवोनी स्थिति बिना वेदनीय कर्मनी जघन्य स्थिति बार मुहर्तनी छे, " वळी कषायरहित सातावेदनीयनी स्थिति तो बे समयनी अहीं ज कहेली छे. तेनुं खरं तव तो बानीगम्य छे. २०. उदहिसरिसनामाणं, सत्तरि कोडिकोडीओ । मोहणिजस्म उकोसा, अंतोमुंहत्तं जहलिया ॥ २१ ॥ तेत्तीससागरोवम, उक्कोसेण विहिबा । ठिई उ पाउकम्मस्स, अंतोमुंहुत्तं जहमिया ।। २२ ।।। | उदहिसरिसनामाणं, वीसई कोडिकोडीओ । नामगोत्ताण उक्कोसा, अहूँ मुहुँत्ता जहमिश्रा ।। २३ ॥
अर्थ-( मोहमिजस्स ) मोहनीय कर्मनी ( उक्कोसा ) उत्कृष्ट स्थिति ( सत्तरि ) सीतेर (कोडिकोडीओ) कोटाकोटि ( उदहिसरिसनामाणं ) मागरोपमनी छे अने ( जहसिमा ) जघन्य स्थिति (अंतोमुहुर्स ) अंतर्मुहर्तनी के २१. ( पाउकम्मस्स ) आयुकर्मनी (ठिई उ) स्थिति ( उकोसेण) उत्कृष्टे करीने (तेत्तीससागरोवम) तेत्रीश सागरोपमनी (विश्राहिआ) कही के अने ( जहलिमा ) जघन्य स्थिति (अंतोसुहत्वं ) अंतर्मुहूर्तनी कही छे. २२. ( नामगोताण ) नामकर्म अने गोत्रकर्मनी (उकोमा ) उत्कृष्ट स्थिति (वीसई ) वीश ( कोडिकोडीओ) कोटाकोटि (उदहिसरिसनामाणं) सागरोपमनी | कही छे अने ( जहणिया ) जघन्य स्थिति ( अट्ठ मुहुचा ) पाठ मुस्तेनी कही छे. २३.