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-साथे बेसनार जे होय ( से ) ते (निग्गंथे) साधु (णो हवह ) न होय-न कहेवाय. अहीं संप्रदाय एवो ले के-जे आसन | उपर प्रथम स्त्री बेहेली होय, ते आमन उपरथी ने सीना उखा पछी बे घडी जाय त्यारे ज ते साधुने चेसवा योग्य थाय छे. (तं कहं ) ते शी रीते ? ( इति चे) एम जो शिष्य शंका करे तो (आयरियाह ) आचार्य कहे छे. ( खलु )निश्वे (इत्थीहिं सद्धिं ) स्त्रीमोनी साथे ( सनिमिजागयस्स) एक आसन पर रहेला-बेठेला (निग्गंथस्स) साधुने (बंभयारिस्स ) ब्रह्मचारी छतो पण ( बंभचेरे संका वा) ब्रह्मचर्यने विषे शंका उत्पन्न थाय. विगैरे पाळावानो अर्थ पूर्वनी जेम जाखी लेवो. | छेवट ( तम्हा खबु ) ते कारण माटे निश्चे (निग्गथे) साधु ( इत्थीहिं सद्धि ) स्त्रीओनी साथे ( सन्निसिजागए) एक | आसन पर रह्यो थको ( नो विहरिजा ) न विचरे-न बेसे. या त्रीजुं समाधि स्थान कयु. ३-६,
हवे चोथु समाधिस्थान कहे थे
णो इत्थीणं इंदिआई मणोहराई मणोरमाई आलोएत्ता निज्झाएत्ता भवति से निग्गंथे । तं कहमिति चे ? आयरिआह-निग्गंथस्स खल्ल इत्थीणं इंदिआई मणोहराई मणोरमाइं आलोएमा णस्त निज्झाएमाणस्स बंभयारिस्स बंभचेरे संका वा कंखा वा वितिगिच्छा वा समुप्पजिजा जाव केवलिपामत्ताओ वा धम्माओ भंसिज्जा, तम्हा खल्लु नो निग्गंथे इत्थीणं दिआई जाव निज्झाएजा ॥४-७॥