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पोताना शरीरनुं रक्षण करे. तुं दूत के तेथी तने जीवतो मुकुंछु. अरे! तुं पण जलदी महीथी जतो रहे." ते सांभळी दूते फरीथी कयु के-“हे राजा ! अमारा स्वामी दयाल छे, तेथी कुशस्थळना राजानी जेम तारुं पण रक्षण इच्छे छ, भने || तेथी करीने ज मने तारी पासे बोध करवा मोकन्यो छे, तो हे जड ! बोध पाम, अने अमारा स्वामीने इंद्रो पण जीती शके | तेम नथी, एम तुं नकी जाण. जेम सिंहनी साधे हरमा, सूर्यनी साथे अंधकार, अग्निनी साथे पतंगीयु, समुद्रनी साथे कीडी, गरुडनी साथे सर्प, वजनी साथे पर्वत अने हाथीनी साथे घेटो युद्ध करवा शक्तिमान नथी, तेम तुं पण श्रीपार्श्वनी साधे युद्ध करवा शक्तिमान नथी. तेथी हे यवन ! तुं तेमनी आज्ञा अंगीकार कर." या प्रमाणे दूत बोल्यो त्यारे यवनना सैनिको | तेनी साथे विपरीतपणे बोलवा लाग्या अने तेने मारवा तैयार थया. तेवामां तेना मंत्रीए कह्यु के-" अरे मूढ सैनिको ! तमे
श्रीपार्श्वप्रभुना दूतने मारया इच्छो छो ते तो पोताना ज स्वामीने गळे पकडी अनर्थरूपी कुवामां नाखवा जे, करो छो इंद्रो | पण जेनी आज्ञाने मरतकपर मुगटनी जेम चडाचे छे, तेना दूतने मारतो ते तो दूर रहो; परन्तु तेनी हीलना पण दुःस्व पापनारी | छे." या प्रमाणे कही ते सुभटीने निवारी पछी मंत्रीए सामवचनथी ते दूतने कयु के-“हे भद्र! आमनो था एक अपराध | समे माफ करजो अने प्रभुने आ वात कडेशो नहीं. श्रीपार्श्वप्रभुना चरणकमळने वांदवा माटे अमे हमणांज आवाए लीए." TER आ प्रमाणे समजावी ते दूतने मंत्रीए विदाय को. पछी पोताना स्वामीना हितने इच्छता मंत्रीए राजाने कयु के-" हे देव ! भविष्यनो विचार कर्या विना सिंहनी केशवाळीने खेंचवा जेवू पा विपरीत परिणामबाळं कार्य केम करो छो! इंद्रो पण जे पार्श्वप्रभुना पत्तिो छ तेनी साथे तमाएं युद्ध शी रीते होई शके ? तेथी हजु पण कंठपर कुठार धारण करीने तमे