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________________ 14 अध्ययनमां जीव अने अजीव एवा ये विभाग बतावतां प्रथम लोक भने अलोक नामना बे विभाग बताव्या छे. पद्धी अजीवनी द्रव्य क्षेत्र, काल अने भावथी प्ररूपणा करी छे. तेमां द्रव्यथी अजीवनी प्रसपणा करतां रूपी अजीव द्रव्यना चार प्रकार अने अरूपी अजीब द्रव्यना दश प्रकार सविस्तर बताव्या छे. तथा भावधी प्ररूपणा करतां स्कंध अने परमाणुना वर्ण, गंध, रस, स्पर्श अने संस्थान ए पांच प्रकारना परिणाम प्रभेद सहित कया छे. त्यारपछी जीवनी प्ररूपणा करी छे. तेमां प्रथम संसारी अने सिद्ध एम जीवना प्रकार कही पछी सिद्धना पंदर मेद, तेमनी अवगाहना, क्षेत्र, तेमने रहेवार्नु स्थान, सिद्धशिलानुं स्वरूप, सिद्धोनी अवगाहना विगेरे वताब्युं छे. पती संसारी जीवर्नुस्वरूप कहेतां तेमना वस भने स्थावर एम बे मेद बताव्या के. पली सूक्ष्म अने बादर, तेमज पर्याप्त अने अपर्याप्त पृथ्वीकाय, अपकाय भने वनस्पतिकाय एत्रण भेद स्थावरना बतावी तेमना पण भेद प्रभेद विगेरे बसान्या छे. तेमां ते दरेकनी द्रव्य, क्षेत्र, काळ अने भावथी प्ररूपणा करी छे. त्यारपछी तेजस्काय, वायुकाय (गतित्रस) भने उदार पटले स्थूळ एम ऋण प्रकारना उस बताव्या छे. तेउवाउना पण सूचम बादर, पर्याप्त भने अपर्याप्त भेड़ो बताधी तेमना पण भेड़, प्रभेद बतावतां द्रव्य, क्षेत्र, काळ अने भावथी प्ररूपया करी छे. ते प्रसंगे तेमनुं दरेकर्नु प्रायुष्य, | कायस्थिति, अंतर अने वर्णादिक पृथक पृथक स्वरूप बताव्युं छे. पछी द्वींद्रिय विगेरे उदार त्रसकाय सूक्ष्म नहीं होवाथी तेमना पर्याप्त भने अपर्याप्त ए बेज भेद बताच्या छे. तेमां हींद्रिय, त्रींद्रिय अने चतुरिंद्रियन भायुष्य, स्थिति, अंतर विगेरे बतान्यु छे. पंचेद्रियनी प्ररूपणामां नारकी तिर्यंच मनुष्य भने देव ए चारेना भेद, प्रमेद, आयुष्य, कायस्थिति भने वर्यादिक पृथक् पृथक् षताब्यु छे. या सर्व जीवाजीवर्नु स्वरूप बतावी उपदेश आयो छेके-या स्वरूप जाणीने मुनिए संयमने विषे रति करबी, अने घणा वर्षी सुधी चारित्र पर्यायर्नु पालन करी ठेवट संलेखना करवी." इत्यादिक उपदेश भापी प्रसंगने लीधे संलेखनानो विधि बसाव्यो छे, त्यारपछी कंदादिक पांच अशुभ
SR No.090459
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunvarji Anandji Shah
PublisherKunvarji Anandji Shah Bhavnagar
Publication Year
Total Pages809
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_uttaradhyayan
File Size18 MB
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