________________
| कर्म करी आ जंबूद्वीपना भरतक्षेत्रमा रत्नपुर नामना नगरमा श्रीपेण राजाना इंदुषेण अने विंदुषण नामना वे पुत्रो धया के.
ते अवसरे पद्मा साधीनो जीव सौधर्म देवलोकधी चवीने ते ज रत्नपुरमा गणिका थयो छ, भने तेणीने ज माटे हमणां | इंदुषण अने बिंदुपेण परस्पर युद्ध कर छे."
* ा प्रमाणे तीर्थकरना मुखथी आपणा सर्वेना पूर्वभवोने सांभळी हुँ तमने युद्धथी निवर्तन करवा अही आग्यो छु. माटे तमे बोध पामो अने बहेनने माटे थइने युद्ध न करो. हुं तमारा पूर्वभवनी माता अने आ वेश्या तमारी पूर्वभवनी | यहेन छे नो मोहनो त्याग करो अने तमारा था दुष्कृत्यथी सजा पामी तमारा मातापिता पण विषप्रयोगों मृत्यु पाम्या छे | तेनो ख्याल करी मा पापनी शुद्धि माटे तमे चारित्र व्रत ग्रहण करो."
श्रा प्रमाणे ते मणिकुंडली नामना विद्याधरना मुखथी पोताना पूर्वभवोर्नु वृत्तांत सांभळी इंदुषेण अने पिंदुपेण बोल्या | के-" हे विद्याधर मित्र ! तमे अमने ठीक प्रतिबोध को." एम कही ते बने भाइओए चार हजार राजाओ सहित धर्मचि गुरुनी पासे चारित्र ग्रहण कर्यु. त्या निरतिचार चारित्र पाळी उग्र तप करी ते बन्ने बुद्धिमान मोक्षपद पाम्या. ___ नहीं श्रीपेण विगेरे चारे युगलीयाओ आयुष्य पूर्ण करी सौधर्म देवलोका गया. ( ए बीजो भव ).
आज जंबूद्वीपना भरत क्षेत्रमा वैताढन्य पर्वत उपर श्रीरथनूपुरचक्रवाल नामर्नु नगर छे. तेमा महा बळवान अर्ककीर्ति नामना खेचर राजा हतो. तेने चंद्रने रोहिणीना जेवी ज्योतिर्माला नामनी प्रिया हती. ते अर्ककीर्ति राजाने स्वयंप्रभा नामनी बहेन हती. तेणीने पोतनपुरनो राजा अथळनो नानो भाइ त्रिपृष्ठ नामनो पहेलो वासुदेव परण्यो इतो. एकदा