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आ प्रमाणे विपुलमसीए महेंद्रसिंहने कुमारनो सर्व वृत्तांत फह्यो, तेटलामा सनत्कुमार जागृत थया. पछी महेंद्रसिंहने साथे लइ कुमार सर्व विद्याधरो अने परिवार सहित वैताब्य पर्वतपर गया. त्यां अवसर पामीने महेंद्रसिंहे कुमारने विज्ञप्ति करी के" हे कुमार ! तमारा मातपिता तमारा विरहथी महाकप्टे काळ निर्गमन करे छे. माटे नेमना दर्शन माटे प्रसम्म पहने त्यां | पधारोमा प्रमाणे मित्रनं वचन सांभळतांज कुमार मातापितानां दर्शन करवामां उत्कंठित थयो. तेथी तरतज सर्व नियामो अने मित्र सहित कुमार अनेक विद्याधरोने साथे लइ संख्याबंध विमानोरडे आकाशमा सेंकडो सूर्योने देखाडतो चान्यो. | प्राकाश मार्गे अनेक हस्ती अने अश्वादिकपर आरूढ थइ इंद्रनी करता देवोनी जेम अनेक विद्याधर राजाश्री पोतपोताना सैन्य सहित कुमारनी करता चालता हता. ते वखते वाजिनोना शब्दबडे आकाश शब्दमय थइ रह्यु हतुं. पा रीते मोटा || || उत्सव सहित कुमार हस्तिनापुरमा आध्या. त्यां पोताना दर्शनी कुमारे मातापिताने तथा पुरजनोने अत्यंत आनंद प्राप्पो. | कुमारनी श्रावी असाधारण समृद्धि जोइ अश्वसेन राजा वाणीथी कही न शकाय तवो हर्षे अने विस्मय पाम्वा. पछी राजाना पूछवाथी महेंद्रसिंह कुमारनो अने पोतानो सर्व वृत्तांत कही राजा विगेरे सर्वने आचर्य पमाच्या. त्यारपछी अश्वसेन राजाए कुमारने पोताना राज्यपर स्थापन कर्या अने महेंद्रसिंहने नेना सेनापतिर्नु पद प्राप्यु. पछी राजाए पोते श्री धर्मनाथ स्वामीना तीर्थना स्थविर मुनिनी पासे वैराग्यथी चारित्र ग्रहण करी पोतानो जन्म कृतार्थ कर्यो. __अनुक्रमे सनत्कुमार राजा राज्य करता हता ते बखते तेने चक्र विगेरे चौद रत्नो प्राप्त थया. त्यास्पछी चक्रना मार्गने अनुसरीने भरतक्षेत्रना छ खंड साधी तथा नव निधान प्राप्त करी एक हजार वर्षे सनत्कुमार पोताना पुरमा पाछा माया.
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