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अमारि घोषणा और रेवती का पाप
अर्थ- रेवती गाथापत्नी ने अक्सर देख कर अपनी बारह सोतों को मारने का ठान लिया। उसने अपनी छः सोतों को शस्त्र प्रयोग से तपाछ: सोतों को विष दे कर मार डाला और उनका बारह करोड़ का धन तथा बारह बज अपने अधीन कर लिए । अब वह अकेली ही महाशतक के साथ ऐन्त्रिक सुख भोगने लगी।
तए णं सा रेवई गाहावाणी मसालोलुया मंसंस मुछिया गिद्धा गदिया अज्झोपवण्णा बहुविहेहि मंसेविंय सोल्लेहि य तलिएहि यज्जिएहि य सुरंग महुंच मेरगं च मज्ज सीधु च पसण्ण च भासाएमाणी विमाएमाणी परिमाएमाणी परिभुजेमाणी विहर।
अर्थ-रेवती मांस-लोलप बन गई । मांसाहार के बिना उसे अंत नहीं मिलता पा। मांस के टुकड़े-टुकड़े कर वह उन्हें तल-मन कर और मसाले मिला कर कई प्रकार की मबिराओं के साथ स्वाद ले कर बार-बार लाने लगी।
अमारि घोषणा और रेवती का पाय
सप ण रायगिहे पयरे भण्णया कयाइ अमाघाए घुड़े यावि होस्था। सए णं मा रेवई गाहावाणी मंसलोया मंसेसु मुच्छिया ४ कोलघागि पुरिसे सहावेह सहावेता एवं पयासी-"तुन्भे देवाणुप्पिया! मम कोलघरिपहिलो पहिलो कल्लाकल्लि दुबे दुवे गोणपोयए उहह उहवेत्ता ममें उषणेह ।" सए ते कोलघरिया पुरिमा रेवईए गाहावाणीए तहत्ति एयम विणएणं पढिसुर्णति परिसुणित्ता रेवईए गाहावाणीए कोलघरिहितो पहिलो कल्लार्कील्ल दुवे दुवे गोणपोयए पति, बहेत्ता रेवाए गाहावरणीय उवणेति । नए णं मा रंबई गाहावाणी सहि गोणमंसेहि सोलेहि य ४ सुरं च ६ आसाएमाणी ४ चिहरह।
अर्थ- एकबार राजगह नगर में (महाराजाणिक ने) 'अमारि-घोषणा की। फलतः पशु-बध बन्द हो जाने से रेवतीको मांसाहार में बाधा खड़ी हो गई। तब पीहर से साप आए नौकर से उसने कहा कि "तुम मेरे पीहर से प्राप्त गो व्रमों में से प्रतिदिन गाय के