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________________ अशुभ गति गमन करेंगे। ऐसे कुलकर व कलंकी कथन कहा। आगे बारह चक्रवर्तीन की आयु कहिये हैं-तहां मरत चक्रोको आयु चौरासी लाख पूर्वकी। तामें कुमारकाल सतत्तर लाख पूर्व है। महामण्डलेश्वर पदका राज्य चालीस हजार वर्ष । पीछे चकरन उत्पन्न भया। पीछे दिग्विजय, साठ हजार वर्ष । राज्य एक लाख वर्ष घाटि, छह लाख पूर्व। संयमकाल, अन्तर्महुर्त। केवलज्ञान सहित किंचित् ऊन एक लाख पूर्व रह के सिद्ध भए। २। दूसरे सगर चक्री की आयु बहत्तरि लान पूर्व। तामें इनका कुमारकालादि यथायोग्य जान लेना ।। तीसरा चक्की मघवा नाम। ताकी आयु पांच लाख वर्ष । तामें कुमारकाल, पच्चीस हजार वर्ष। मण्डलेश्वर पद, पच्चीस हजार वर्ष । पीछे चक्र लाभ भरा दिग्विजय. दश हजार वर्ण। राज्य, तीन लाख नब्बे हजार वर्ष । संयमकाल, पचास हजार वर्ष बाद, स्वर्गलोक गए।३: चौथे चक्की, सनतकुमार। ताकी आयु, तीन लास्त्र वर्ष। तामें कुमारकाल, पचास हजार वर्ष 1 मण्डलेश्वर पद पचास हजार वर्ष। पीछे चक्र लाम ते दिग्विजय, दश हजार वर्ष । राज्यावस्था, नब्बे हजार वर्ष 1 संयमकाल, एक लाख वर्ष। पीछे स्वर्गगमन किया ।४। पञ्चम झांतिनाथजिन, चक्रो। तिनकी आयु एक लाख वर्ष । तामें कुमारकाल, पच्चीस हजार वर्ष । मण्डलेश्वर पद, पच्चीस हजार वर्ष। दिग्विजय आठ सो वर्ष । चक्री पद, चौबीस हजार दोय सौ वर्ष । संयमकाल, सोलह वर्ष। सोलह वर्ष घाटि पच्चीस हजार वर्ष, समोवशरण सहित विहार किया। पीछे सिद्ध भए । ५। छ8 कुन्धुनाथ-जिन चक्री। तिनको जाय, पंचागबै हजार वर्ष । तामें कुमारकाल, पौने चौबीस हजार वर्ष । मण्डलिक राज्य पद, पौने चौबीस हजार वर्ष। दिग्विजय, छह सौ वर्ष । चक्री पद, तेबीस हजार डेढ़ सौ वर्ष । संयमकाल, सोलह वर्ण । केवल अवस्था. सोलह वर्ष घाटि पौने चौबीस हजार वर्ण। पीछे मोक्ष गये।६। सातवें बरहनाथ-जिन, चक्री। तिनको आयु, चौरासी हजार वर्षा। तामें कुमारकाल, इक्कीस हजार वर्ष मण्डलिक राज्य पद, इक्कीस हजार वर्ष। दिग्विजय, च्यारि सौ वर्ष । चक्री पद, बीस हजार छह सौ वर्ष । संयमकाल, सोलह वर्ष । सोलह वर्ष धाटि, इक्कीस हजार वर्ष, केवलज्ञान सहित उपदेश दिया। पीछे लोक शिस्वर विराज । ७। बाठा चक्री, सुमि ताकी आयु, अड़सठ हजार वर्ष। तामें कमारकाल, पांच हजार वर्ष । और दिग्विजय, पांच सौ वर्ष । चक्री पद, । बासठ हजार पांच सौ वर्ण । अरु यह बाल्यावस्थामैं, परशुरामके भय तें सन्यासीनके जाश्रम विर्षे गोप रहे।
SR No.090456
Book TitleSudrishti Tarangini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTekchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages615
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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