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________________ १३९ सौम्य-मूर्ति होय। जाके देखे प्रोति उपजै। भयानक आकार नहीं होय । ७१ गुण-ग्राही होय। औगुस-ग्राही | नहीं होय।८। मार्दव धर्मका धारी, यथायोग्य विनयकं लिये होय।। सर्व जीवनकं, माप समान माने। सर्व ते मैत्री-भाव लिये होय। द्वेष-भाव रूप काह ते नहीं होय । १०। न्यायपक्षका धारी होय। अन्याय पक्षका पोखता नहीं होय।२२। मिष्ट मधुर स्वरका भाषणहारा होय। कठोर वचनी नहीं होय । १२ । गंभीर स्वभाव सहित. दीर्घ विचारी होय। बालकवत् सामान्य विचारी नहीं होय । २३। विशेष ज्ञानी होय। कोई कुवादीनको खोटी नय-युक्ति ते नहीं डिगै। आप अनेक सधुक्ति सदृष्टान्त सच्चे शास्त्रन्याय ने बताय, कुवादीनका खण्डनहारा, मला ज्ञानी होय।१४। सर्वकौं सुखी देख सुख पावनहारा सज्जन स्वभावी होय। दुर्जन अदेखा नहीं होय ! २५ दया धनाइला धादी जाननादि तुम सहित धर्मात्मा होय । पापी नहीं होय । १६ । भली बुद्धिका धारो होय । कुबुद्धि धारी नहीं होय । २७। योग्यायोग्यका जाननहारा होय, मूर्ख नहीं होय । १८। दीनता उद्धतता रहित, मध्यम-स्वभावी होय।२६। सहज ही विनयवान् होय अविनयी नहीं होय ।२०। पापारम्भ क्रिया ते रहित, शुभाचारी होय।२२। ऐसे कहे गुण सहित होय, सो किया ब्रह्म जानना। इति इक्कीस क्रिया ब्रह्मके गुण । आगे किया ब्रह्मके भेद, पर मतमें भी कहे हैं, सो कहिए हैं। जो ये गुण होंय सो किया ब्रह्म है। ताको क्रिया कहैं हैं। सो हो कहिये है-“उक्त च मार्कण्डेयजी कृत सुमति शास्त्र"-जे उत्तम ब्राह्मण होय सोरती क्रिया करें। सो बताईये है। जहां अनछान्या पानी पोवै, तो मदिरा समान दोष होय। अनगाले जलमें स्नान करै, तो काया जशुचि होय । अनगाले जल में रसोई करें, तो सात भय जलचर जीव होय । तातें उत्तम द्विजकों अनगाल्ये जलते क्रिया करना मना हैं। ऐसा जानना। आगे व्यास वचन महाभारतसे सातवें खण्डमें कहा है। ब्राह्मणकू शीलव्रतही श्रृङ्गार है। शील बिना पूजा जप तप सर्व नष्टकारी है। फलदाता नाही। तार्ते उत्तम गुसका लोभो शील सहित रहै है। और ब्राह्मण, दया पाल करि गमन करे है। आप समान सर्व जीवन को जानि तिनकी रक्षा करने निमित्त नोची दृष्टि किये चले। जो कीड़ी कंथुवादि अपनी दृष्टिमैं जावे तो बचावता धरती | देखता या विधिसं गमन करे। बिना देखै पांव नहीं धरै। भोगो जीवनके सोवनेका स्थान जो पलङ्ग तायै नहीं । सोवै। भूमि सोवै । और जाते राग भाव बधै, काम बधै, ऐसा वस्त्र नहीं राखे । राग रहित वैराग्यको कारण
SR No.090456
Book TitleSudrishti Tarangini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTekchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages615
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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