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________________ में संतोष सहित प्रमाण करना। जो आज रातीबार कुशील-सेवनका प्रमाण है। बाकीका त्याग है। ऐसा प्रमाण, सो कुशील नियम है।। धाज राती बार स्नान करूंगा. बाकी तण्या सो स्नान नियम है।३०। बाज गते " आभूषण राख्ने सो पहरने बाकीका त्याग। ऐसा प्रमाण करना सो आभूषण नियम है । १५ । शैतै वस्त्र राखे। || ते सूतके एत रेशमा यो रोमीर इत्यादिक वस्त्रका प्रमाण करना सो वस्त्र नियम है।१२। हाथी, रथ, घोड़ा, ऊंट, बैल, रोज महिष, अंबाड़ी, भियाना, पालकी, नालको तस्त्रतरवां, गाड़ी इत्यादिक अनेक असवारीके | भेद हैं। तिनमें तैरते राखी बाकी तणीं। ऐसे अनेक पुश्य-प्रमाणमें भी संतोष करि असवारीकी संख्या रासन सो वाहन नियम है।२३। सोवनेका स्थान, महल, पलंग, बिछौना, तकिया, पिछोरा, रजाई, इत्यादिकका प्रमाण करना सो शैय्या नियम है। १४। बहुरि एती जायेगा बैठना यती जगह जाना। ऐसा प्रमाण करना सो प्रासन प्रमाण है। २५। आज राती सचित्त वस्तु खावना बाकीका त्याग सो सचित्त नियम है। १६ । प्राण एती वस्त राखी सो लेना बाकीका त्याग है। ऐसी प्रतिज्ञा करनी, सो वस्तु नियम है। २७। रीसे ए सत्रह नियम कहे। सो धर्मात्मा अव्रती श्रावक पर्यंतक करना योग्य है। इनका प्रमाण होते इस जगत तें उदासी धर्मात्मा श्रावकका चित्त विषय भोगन त विरक्त रहै है। तातें प्रमाद नहीं बधने पावै। इनके विचार ते स्यात-स्यात (घडी-घडी में धर्मकी यादगारी रहै है। अनर्थ-दण्ड पाप छुटे है। सो जै धरिमा ब्रह्मचर्य व्रतका धारी इनक विचार करै सो क्रिया-ब्रह्म है। इति सत्रह नियम। आगे क्रिया-ब्रह्म धर्मात्मा श्रावक ताके इक्कीस गुण कहिए है। तहां प्रथम नाम-प्रथम लजावान् होय। अगर निर्लज्ज होय तो देव गुरु धर्मको मर्यादा लोप देय । कुल धर्म तणि कुधर्मका सेवन करें। बड़े गुरुजनको अविनय रूप प्रवृत्ति करें। माता-पिताकं खेदकारी होय। एतै दोष भरा धर्मका अभाव होय । तातें धर्मका स्वभाव लज्जा है। तातें धर्मी, लजा गुणका धारी है।। अदया, सर्व पापका बीज हैं। तातें दयावन्त होय, निर्दयी नहीं होय ।। तीव्र कषायी होय, तो लोकमें निन्दा पावै। धर्म-कल्पवृक्ष बिनशि जाय। तातें शांत स्वभावी होय, क्रोधादि कषाय-जाके नहीं होय । ३। केवली सर्वहभाषित धर्मका श्रद्धान सहित, जिन धर्मका उपदेशक होय। स्वेच्छाचारी, मिथ्या-धर्मका उपदेशक नहीं होय । ४ । पर-दोषनका ढांकनहारा होय। अपने जौगुणका प्रगट करनहारा होय । ५। परोपकारी होय। परद्वेषी नहीं होय।।
SR No.090456
Book TitleSudrishti Tarangini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTekchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages615
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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