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________________ । तहां प्रथम ही प्रकृति उदय कहिये है। सो नाना जीव नाना काल अपेक्षा उदय योग्य प्रकृति एकसौ बाईस श्रो | हैं। तहां ज्ञानावरण को ५, दर्शनावरण की६, वेदनीय की २, मोहनीय को २८, आयु-कर्म की ४. गोत्र || की २, अन्तराय-कर्म को ५, रोसे सात की ५५ नाम-कर्म को वर्ण चतुष्क की 8, संहनन ६. संस्थान ६, गति ४. गत्यानुपूर्वी ४, शरीर ५, जाति ५, अंगोपांग ३, चाल २, अगुरु अष्टक की ८और दश दुक की २०, रोसे नाम-कर्म को ६७। समितिः २२२ उदय चोर पता : । ला विच सम्बन्धी २२ तिर्यंच गति, तिर्यंच गत्यानुपूर्वो, तिर्यंचायु, जाति च्यारि, स्थावर, सूक्ष्म, साधारण, आतप और उद्योत- प्रकृति तिथंच द्वादश हैं और वैक्रियिक अष्टक इन बीस बिना मनुष्य योग्य एक सौ दोय हैं। अब देव योग्य उदय की प्रकृति कहिये हैं। ज्ञानावरण को ५, दर्शनावरण को ६, वेदनीय की २, मोहनीय को नपुंसक बिना २७. वायु गोत्र ऊँच अन्तराय की ५, ऐसे सात कर्म को ४७ वर्ण चतुष्क को ४ (संहनन नाही) संस्थान एक, समचतुरस गति, गत्यानुपूर्वो, शरीर की तीन, अंगोपांग, चाल, जाति, अनुरुलघु, उच्छ्वास, उपघात, परघात, निर्माण, दश दुक को बारह सर्व मिलि नाम-कर्म की तीस ऐसे देव योग्य उदय प्रकृति सतत्तरि हैं । सो नाना जीव नाना काल अपेक्षा समुच्चय कथन जानना। नारकी के उदय योग्य प्रकृति छिहत्तरि हैं। सो देव के उदय की प्रकृतिन में तौ दोय वेद घटाय दोजे । अरु नपुंसक वेद मिलाइये। यथायोग्य प्रकृति पलट देनी। शुभ की जायगा अशुभ प्रकृति करनी रोसे नरक में उदय योग्य प्रकृति छिहत्तरि हैं; तिर्यंच के उदय योग्य प्रकृति एक सौ सात हैं। एक सौ बाईंस में तें वैक्रियिक अष्टक को आठ, मनुष्य गति आदि तीन, आहारक दुक को दोय, तीर्थक्कर ऊँच-गोत्र इन पन्द्रह बिना एक सौ सात प्रकृति का तिर्यंचन के उदय है। विशेष तहाँ एता जो पंचेन्द्रिय तिथंच के उदय योग्य प्रकृति निन्यानवें हैं। तिनके नाम ज्ञानावरणीय की पांच, दर्शनावरणीय नव, वेदनीय की दो, मोहनीय की अट्ठाईस, आयु, गोत्र, नीच, अन्तराय पांच ए सात कर्म की इक्यावन । वर्ण की च्यारि, संहनन षट्, संस्थान षट, गति, गत्यानुपूर्वो, शरीर तीन, जाति, अंगोपांग, चाल दोय और तीर्थकर व बातप इन दोय बिना मगुरु अष्टक की छः और दश दुक को मैं तें सूक्ष्म, साधारण, स्थावर इन तीन बिना सत्तरा ऐसे नाम की अड़तालीस सर्व मिलि निन्यानवे हैं। अब एकेन्द्रिय के उदय योग्य प्रकृति अस्सी हैं। ताकी विधि—झानावरण की पांच ३८१
SR No.090456
Book TitleSudrishti Tarangini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTekchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages615
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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