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________________ aas दीक्षा देंय, तो य दश काल टालि दीक्षा देय हैं। इकलन में यह देय । सो ताइये ।। जहां प्राथम नाम ग्रहोपराग कहिये, जाकौ कोई अशुभ ग्रह होय, तो दीक्षा नहीं देंय । ३। सूर्य ग्रहण होय । २। चन्द्र का ग्रहख || ७८ होय।३। इन्द्र धनुष चढ़या होय। 81 जाकौ उल्टा ग्रह बाया होयाश तथा आकाश बादलन करि बाच्छादित होय रह्या होय। ६ । तथा जिस जीव कौ महिना खोटा होय । तथा अधिक मास होय। ८। तथा संक्राति दिन होय । ६ । क्षय तिथि होय।१०। इन दश अवसरन में भला ज्ञाता, निमित्त ज्ञान के वेत्ता आचार्य, शिष्य कौं दीक्षा नहीं देंय और कदाचित् कोई ज्ञान की मन्दता के जोग ते इन दश कालन में दीक्षा देंय, तौ आचार्यन की परम्परा का लोप होय, निन्दा पाते। जिन-आज्ञा का उल्लंघन करनहारा जानि, सर्व आचार्यन के संघ से बाहर होय, संघ तें निकसैं, अपमान पावै। तातै र दश काल टालें हैं और जिन दिनों में दीक्षा होय सो बताइये है। शुभ दिन, शुभ नक्षत्र, शुभ योग, शुभ मुहूर्त, शुभ ग्रह इत्यादिक शुभ काल में दीक्षा होय है और दीक्षा कौन-कौन गुण सहित को होय है। सो ही बताइये है। बुद्धिमान् होय विशुद्ध कुल होय । गोत्र शुद्ध होय। शरीर के अंगोपांग शुद्ध होय। तहां कांणा, अन्धा, लूला, ठूठा, बांवना, कूबड़ा, रोगी, बधिर इत्यादिक दोष रहित होय, सुन्दर मूरत होय। मन्द कषायी होय । जाके पंचेन्द्रिय-भोगत ते अरुचि होय । मोक्षाभिलाषी होय । शुभ चेष्टा सहित प्रकृति होय । शुभाचारी होय । हाँसि-कौतूहल रहित, नैवन करि चमत्कारक होय । महावैराग्य दशा करि पूरित होय । इत्यादिक गुण सहित जो शिष्य होय, तिनको दीक्षा होय । ऐसे मुख्य गुण हैं सो कहे। बाकी इनमें सामान्यविशेष योग्य-अयोग्य सम्हालक-विचारकै आचार्य करें हैं। ऐसा जानना। इति श्री सुदृष्टि तरङ्गिणी नाम ग्रन्थ मध्ये, षट् सेहया, योनि भेद, निगोद रहित स्थान, निमित्त सानाविक कषम पर्णनो नाम, सत्ताईसा पर्व सम्पूर्ण भया ॥ २७ ॥ आगे दशकरण का निमित्त पाय, कर्मन की अवस्था कहिये है। प्रथम नाम-बन्ध, उदय, सत्ता, उत्कर्षण, ।। अपकर्षण, संक्रमण, उपशान्त, निधत्ति, निकांचित और उदीरणा-ए दश हैं। अब इनका अर्थ-तहां प्रथम बन्ध करस कहिये है। सो जीव अपने शुभाशुभ परिणामन तें कर्मन का बन्ध कर है। सो बन्ध च्यारि प्रकार है। प्रकृति बन्ध, प्रदेश बन्ध, स्थिति बन्ध पौर अनुभाग बन्ध-तहां प्रथम प्रकृति बन्ध का स्वरूप कहिये है। ३७८
SR No.090456
Book TitleSudrishti Tarangini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTekchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages615
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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