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________________ अनेक बार भोगे। तिनकं फेरि भोगने में कहा प्रीति करे है ? और जो नवीन सूख जो कबहूँ नाही भोगे || "होय; ऐसे सूखक भोगवे तो नतीन सुस्त हो । तातै मोक्ष का सुख तैने कबहूँ नहीं भोग्या है। सो याके 4 भीमवैकू धर्म का साधन करना योग्य है । ये हो विवेक का फल है। ऐसा जानना । आगे दीर्घ दुःख नरक पशन के तिनते नहीं डरचा, तौ तप के तुच्छ दुःखतें कहा डर है ? ऐसा बताएँ हैं| गाथा--असुहं फल गक तिरियो मुंबे, दुह अगेय मूढ आदाए । तो तव लब दुह आदा, कम्पय कि सेय धम्म सिज कज्जे १९५॥ अर्थ-असुहं फल एक तिरियो कहिये, अशुभ के फल नरक-तिर्यश्च गति के। मुंजे दुह भरीय मूढ़ आदारा कहिये, भोले आत्मा ने अनेक दुख भोगै। तो तब लव दुह आदा कहिये, तो तय के अल्प दुचन तें जात्मा। कम्पय किं कहिये, कहा कम्पे क्यों है ? सेय धम्म सिव कज्जे कहिये, मोक्ष होवे कं धर्म का सेवन करि। भावार्थ-भो आत्माराम ! तूने अशुभ के फल करि नरक मैं छेदन-भेदन आदि पञ्च प्रकार दुःख अनेक बार सहे सो कर्म के वश पराधीन होय महादुःखनकू सहज ही भोग लिए और तिर्यश्चन के दुःख अनेक प्रकार। मुख, तृषा, शीत, उष्ण, दंश-मसकादि बहुत वेदना पराधीन पशु काय को भोगी। सी भी सहज भोग ली। सो तहां तु डरचा नाही। तौ हे भोले प्राणी! तप विर्षे नरक-पशु ते अधिक दुःख नाहीं। बहुत ही अल्प दुःख है । तात हे भव्यात्मा! तूतप-दुःख ते मति डर। तप विषं तो स्वाधीन खेद है। सो सुख समान है और पराधीन दुःस्त्र के भोग त विकल्प होय तिन करि तो पाप-बन्ध होय है। तातै परम्पराय आगामी काल में भी दुःस्व फल ही होय है। स्वाधीन तप का खेद सहते परिणामन में सन्तोषी धर्मात्मा के विकल्प नाहों होय है. ताते पुण्य का बन्ध हाय। ताकरि आगामी काल में भी सुख फल होय । तातें नरक-पशून के दुःख तेने पराधीन होय सहे, तहाँ तो डरचा । नाहीं। तौ तिनतें बहुत धोरे तप के खेद ते, तूंमति डरै। समता सहित तप का खेद सह। बङ्गीकार कर। ज्यों तेरे समभावना सूकिर नाना प्रकार तप तिन करि कर्म का नाश होय मोक्ष होय। तातें ताकू धर्म-साधन ही सुचकारी है। ऐसा जानि बारम्बार जिन भाषित धर्म का समता करि सेवना योग्य है। जागे माया कपाय का फल और कषाय से अधिक बताईं हैंमाथामा म पिगोडा मि, साप पायो मामा क मा लामो समय
SR No.090456
Book TitleSudrishti Tarangini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTekchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages615
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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