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________________ विषय-सूची विषय ਪ੍ਰਾਨ प्रथम पर्व १–१० पचपरमेष्ठी की स्तुति - टिप्पणिका-इष्टदेव को नमस्कार द्वितीय पर्व ११ २८ संसार सुख सिद्धन के नाही. तो मोक दिये कैसा सुख हैदृष्टि तर जिणो ग्रन्थ- नाम का अर्थ पर शेय में ममत्व भाव करि भ्रमण करते. अनन्त परावर्तन काल भये- अनन्तकाल भ्रमण करते, जांब को काललबंध निकट आये, तब पशलब्धि होय - सम्यक्त्व के दश मेदसम्यक्य के २५ दोष सम्यक्स्व के गुण मोसा लक्षण और वक्ता लक्षण तृतीय पर्व २६-४२ पण्डिलों के दो भेद एक दृष्टान्त-ग्रन्थ के आदि षट् वस्तु कथन-मले की दाता सब प्रकार कथा— मोक्ष-महल चढ़ने को सीवान, सम्यक्त्व की उत्पति है पर्य ४३-७४ एकान्तमतों को समझाय दृढ़ किया-क्षणिकमल को सम्बोधनकर्त्तावादी से निर्णय- नास्तिकमत क सम्वाद - अवतारवादी एकान्तमती का सम्वाद अज्ञानवादी का निर्णय-स्थिरयाद। सम्बाद कई विपरीलमती, अजीव तें जीव की उत्पत्ति मानें हैं। मेघमाला को इन्द्र कहें है- मोरे जीव काल द्रव्य जी असन, ताक वेसन मानें हैं- कई मत अजीव द्रव्य तें जीव की सत्पति मानें हैं—एकान्तमत को स्यादाद नय कृषि सख्य बताया अवतारवादी का वचन, कोई नय करि प्रमाण हैवणिकवादी को स्याद्वाद नय कृषि प्रमाण ठहराय, जीवादि तत्व विषय पृष्ठ बताये - नास्तिकमसी को समझाया- सिद्ध जीव, ज्ञान रहित नहीं है— जीव मरै, वैसी हो योनि में उपजी निराकरण-मोक्षसुख ७५- ६२ पद्मपर्व मोक्ष का स्वरूप और अजीव द्रव्य अष्ट कर्म-कर्म बन्ध, उदय सत्ता. गुणस्थान षष्ठपर्व ६६- १०६ चौदह माणसात समूघासू जीव समास और पर्याधिप्राण - वनस्पति के सात प्रकार बीज-गुणस्थानों सम्बन्धी जोन संख्या सप्तम पर्व धर्म, अधर्म, काल द्रव्य भगवान के गुण १०५ - ११७ अष्टम पर्ष ११८ - १३६ कुदेव कुगुरु-गुरु का स्वरूप-४६ दोष ( ३२ अन्तराय व १४ म नवम पर्ष १९३७ - १४६ तीन गुप्ति परीषद मुनि वर्णन आचार्य के ३६ गुण दशम प २४--१६८ उपाध्याय के २५ गुण-पाताल लोक वर्णन - मध्य व लोक वर्णन - जिनेन्द्र गुण सम्पत्ति आदि तप-दश प्रकार मूनि मैद मुनियों के चिन्तयन योग्य दश समाचार – मुनि मन्दिर में केसे प्रवेश करें— मुनि स्तुति करें, ताके श्लोक - मुनि प्रमादवश होय. तब कायोत्सर्ग करें -
SR No.090456
Book TitleSudrishti Tarangini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTekchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages615
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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