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________________ मलाया, लकड़ी का प्रहार किया, यह देखि, अनुमोदना करनी हेय है तथा काह का धन लुटता देखि-सुनि तथा सन पीड़ा देखि तथा काह के हाथ-कान-नाकादि अङ्ग उपाङ्गछेदते देखि, अनुमोदना करना हेय है तथा कोई | २३४ के कु-तप व कु-ज्ञान को दीर्घता देख, अनुमोदना करनी हेय है और कोई कुदेव-गुरुन के बड़े आरम्भी बड़ा द्रव्य लागत के मन्दिर मठ स्थान देखिल नानुनदना कामा, बागकामा जागिहेरे है और तोर, गोली, नाली, तोप, बन्दुक, कमान, छुरो, कटारी, शमशेर, बरछो इत्यादि अनेक शस्त्र, जीवघात के कारण देखि इनकी अनुमोदना करनी हेय है और कोई भला बाणावणी (धनुर्धारी) अनेक शस्त्र कला मैं प्रवीश तोर गोला-गोली का चलावनेहारा पुरुष की अनुमोदना हेय है तथा नदी सरोवरन की पाली (बांध ) फोड़िक तथा फूटी देखि के तथा नगर वन मैं अग्नि लगी दैखि तथा नगर मुल्क को लटता देखि सनिक अनुमोदना अशुभ फल देनहारी है। तातें हेय है और कु-तीर्थन के स्थान तथा तिनके कर्ता देखि तिनकी अनुमोदना करनी हेय हैं और कृण्यारम्भ पशु संग्रह खेटकादि जीवघात विष हर्ष करना हेय है और अनेक मिथ्यात्व कारगन में तथा बहु पापारम्भ परिग्रह के विकल्पन में हर्ष अनुमोदना ये जानि तजना सो गुणकारी है। इति पाप अनुमोदना हेय है। आगे शुभ अनुमोदना उपादेय कहिश है। जहां मुनीश्वर ध्यानाग्नि त कर्मनाशि निरजन भए तिनकी वन्दना में हर्ष करना उपादेय है तथा कोई भव्य आत्मा गुरु का उपदेश पाय संसार दशा तै उदास होय तप करता होय ताकी अनुमोदना उपादेय है तथा कोई जिन-दीक्षा धारी मनोश्वर शक-ध्यान करि च्यारि घातिया-कर्म नाश के केवलज्ञान पाया, तिनकी वन्दना में हर्ष-अनुमोदना उपादेय है और जिन कालन मैं निर्वाण केवलज्ञान, तपकल्याणक हुए तिन कालन की पूजा-वन्दना विर्षे अनुमोदना उपादेय है और जहाँ कोई भव्यात्मा धर्मो जीवकौं सम्यक प्रकार बारह प्रकार तप करता देखि तथा अनेक तीर्थ सिद्धक्षेत्रन की वन्दना करते देखि तथा अकृत्रिम अरु कृत्रिम जिन चैत्यालयों की वन्दना करता देखि, इन कार्यन मैं भव्यात्मा कू प्रवर्ते देखि, तिनकी अनुमोदना करना उपादेय है तथा तीर्थकर के पञ्च हो कल्यासकन के समय देखि-सुनि हर्ष भाव, उपादेय है तथा अष्टाहिका के दिनों में इन्द्रादि देव नन्दीश्वर द्वीप विष जाय पूजा-उत्सव करें, तिस काल मैं वन्दना करना हर्ष सहित-तामैं अनुमोदना उपादेय है और श्री दशलक्षण पर्व आदि मैं पूजा संयम तप जे भव्य करें तिनकी अनुमोदना उपादेय है।
SR No.090456
Book TitleSudrishti Tarangini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTekchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages615
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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