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________________ प्यारे दुर्बुद्धि तिनका संग तजवे योग्य है। ऐसे कहे ये सप्त व्यसनी जीव पापी, पाखण्डी, तीव्र, क्रोधी, मानो, मायावी, लोभी, हाँसि, कौतुक-मद, मत्सर के धारी, तिनका संग तजवे योग्य है। इत्यादिक कहे कुसंगन का ॥१ त्याग, सो सम्यग्ज्ञान सत्य है । इति हेय संग। आगे उपादेय संग एते संग सुखकारी हैं। तीर्थङ्कर केवली मुनीश्वर व्रती श्रावक सम्यग्दृष्टि शान्त स्वभावी दानी, तपसी, जपी, संयमो, धर्म-ध्यानी, धर्म-चरचा, करनेहारे ऊँचकुली, दयावान, विद्यावन्त इत्यादिक गुणवान पुरुषन को संगति पूज्य है। ये पुरुष प्रगटपने जगत् में पूज्य पदधारी हैं। इनका यश सब लोग कहैं हैं । ये शुभाचारी हैं। ऐसे ऊँच पुरुषन का संग करना उपादेय है। ऐसे सम्यग्दृष्टिन की बुद्धि सहज हो शुभ संग चाहती व अशुभ संगत उदासीन होय है। इति संगति में हेय, शेय, उपादेय, अधिकार । आगे विचार मैं हेय-ज्ञेय-उपादेय कहिये हैं। गाथा-गुहारो हेस, गोमग तिने मन मुहाबो, गेहेआदेय हेयणे माए ॥ ३५ ॥ अर्थ-तहां सम्यग्दृष्टि जो विचार करे सो सहज ही झेय-हेय-उपादेय करि तीन प्रकार होय जाय है। तहाँ भले-बुरे विचार का समुच्चय विचार करना, सो तौ ज्ञेय है। ताही के भेद दोय हैं। एक विचार तौ हेय हैं एक उपादेय हैं। सो प्रथम हेय जो त्याग योग्य सर्व विचार ताका स्वरूप कहिये है । विचार नाम ध्यान का है। सो अशुभ-ध्यान के दोय भेद हैं। एक मार्त विचार है. एक रौद्र विचार है। जहां पर-वस्तु की चाहि, सो आर्त है। जहां पर-जीवन का बुरा चिन्तना, सो रौद्र विचार है। सो आर्त के चार भेद हैं। एक तो भली वस्तु का वियोग होय तब रोसा विचार उपजे जो ये भली वस्तु थी। मोकू इष्ट थो। याके निमित्त पाय मोकौं विशेष सुम्स था। अब मेरा सुख गया। ऐसे पुत्र, भाई. मात, तात, धन, हस्ति, घोटिक, राज, मित्र, शरीरादिक का वियोग होते मोह के वशी होय शोक करै। सो इष्ट वियोग सूप विचार है। यह विचार विवेकौन कौं त्यागने योग्य है। याका नाम इष्ट वियोगज आर्त-ध्यान कह्या है। दूसरा मेद अनिष्ट संयोगज आर्त-ध्यान है। ऐसे विचार जहां आपकं नाहों चाहिये, ऐसे जो खोटे निमित्त का मिलाप होना 1 गैसे खोटे मिलाप त ऐसा विचार होय, जो मौकों मिल्या, सो मोहि खेदकारी है। मैं याकौं नहीं चाहै था! या निमित्त ते मोकों अरति उपजे है। ऐसे बैरी तथा जाका बहुत धन देना होय तथा राह जातै चोर नाहर इत्यादिक का मिलाप होते, इनके भय दूर करखे का
SR No.090456
Book TitleSudrishti Tarangini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTekchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages615
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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