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कालोदधि समुद्र है। तहाँ चन्द्रमा बियालीस हैं, सूर्य बियालीस हैं। यार्के आगे यातें दूना विस्तार सहित पुष्कर ||
दोष है। ताके अर्द्ध मध्य भाग में मानुषोत्तर पर्वत के बाहर के आधे पुष्कर द्वीप में चन्द्रमा बहत्तरि हैं और , || सूर्य बहत्तरि हैं। ऐसे ए सर्व मिल अढाई द्वीप विष चन्द्रमा एक सौ बत्तीस और सूर्य एक सौ बत्तीस जानना । गतहा एक चन्द्रमा का परिवार पहिय है। तहा चन्द्रमा एक सय एक, ग्रह अध्यासी, नक्षत्र अट्ठाईस, छयासठि हजार नव सौ पिचहत्तरि कोडाकोड़ि तारे हैं। यह एक चन्द्रमा ज्योतिषी देवन का इन्द्र, ताका सर्व परिवार जानना । सो जम्बूद्वीप विष चन्द्रमा दोय, सूर्य दोय, ग्रह एक सौ छिहत्तरि, नक्षत्र छप्पन और तारे एक लास तैतीस हजार नव सौ पचास कोड़ाकोड़ि हैं। सो जम्बूद्वीप के भाग भरत क्षेत्र समान करिए, ता एक सौ नब्बे होय। सो भरत से लगाय विदेह पर्यन्त क्षेत्र पर्वत दुगुने-दुगुने विस्तारवाले हैं और विदेह क्षेत्र ते उत्तर दिशाकों क्षेत्र पर्वत हैं। सो ऐरावत क्षेत्र पर्यन्त अर्ध-अ हैं। ऐसे जम्बूद्वीप की शलाका भरत क्षेत्र समान एक सौ नब्बे कही १,२,४.८,२६.३२,६४,३२,२६.८.४.२.२.-ए सर्व एक सौ नब्बे हैं, सो राक-एक शलाका प केते तारे आर सो ही कहिए हैं। तहाँ भरतक्षेत्र पै सात सौ पांच कोड़ाकोड़ि तारे हैं और हिमवत पर्वत पै चौदह सौ दश कोडाकोड़ो तारे हैं और हैमवत क्षेत्र पै अद्वाइस सौ बीस कोड़ाकोड़ी तारे हैं और महाहिमवत पर्वत वै छप्पन सौ चालीस कोड़ाकोड़ी तारे हैं और हरिक्षेत्र पे ग्यारह हजार दोय सौ अस्सी कोड़ाकोड़ी तारे हैं और निषध पर्वत पै बाईस हजार पांच सौ साठि कोड़ाकोड़ी तारे हैं और विदेह क्षेत्र पै पैंतालीस हजार एक सौ बोस कोडाकोड़ी तारे हैं और नील पर्वत पै बाईस हजार पांच सौ साठि कोडाकोड़ी तारे हैं और रम्यक क्षेत्र मैं ग्यारह हजार दोय सौ अस्सी कोड़ाकोड़ी तारे हैं और रुक्मि पर्वत 4 छप्पन सौ चालीस कोडाकोड़ी तारे हैं ||
और हिरण्यवत क्षेत्र 4 अट्ठाईस सौ बोस कोड़ाकोड़ी तारे हैं और शिखरी पर्वत पै चौदह सौ दश कौड़ाकोड़ी तारे हैं और शेरावत क्षेत्र सात सौ पांच कोड़ाकोड़ो तारे हैं। ऐसे जम्बूद्वीप के एक सौ नब्बे भागन पै तारान का प्रमाण कया। ऐसे जढ़ाई द्रोप सम्बन्धी चन्द्रमा सूर्यन का प्रमाण परिवार सहित कह्या। आगे मध्यलोक मैं असंख्यात द्वीप हैं। तिन मैं जादि के सोलह द्वीपन के नाम कहिए है। जम्बूद्वीप, धातकीखण्ड, पुष्कर-दीप, वारुणी-द्वीप, क्षोखर-द्रोप, घृतवर-द्वीप, क्षुद्रवर-द्रोप, नन्दीश्वर-द्रोप, अरुशवर-द्वीप, अरु सभासवर
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