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________________ गाथा -मानावेव महलोड या एक माहानगरः गणिया, कमेण चौबीस ठाणाणी ॥ १३ ॥ अर्थ-ध्यान सोलह. आसव सत्तावन (कषाय २५, योग १५, अव्रत १२, मिथ्यात्व ५-ए सर्व सत्तावन ।। जानना ) सो ध्यान अरु आसवन का स्वरूप आगे कहा है। तातै यहाँ नहीं कह्या वहाँ तें जानना । राकेन्द्रिय | जाति में पृथ्वी, अप, तेज, वायु–साधारण वनस्पति के इतरनिगोद, नित्यनिगोद करि दोय भेद हैं। श षट् स्थावरस को सात-सात लाख जाति हैं। प्रत्येक वनस्पति को दश लाख जाति हैं। बेन्द्रिय (दो इन्द्रिय) तेन्द्रिय, चौइन्द्रिय-इन तीन की दोय-दोय लाख जाति हैं । देव, तिर्यंच, नारकी-इन तीनन की च्यारि-च्यारि लाख जाति हैं। मनुष्य की चौदह लाख जाति हैं। रा सर्व मिल चौरासी लाख जाति जानना। इति जाति । आगे कुल कहिए हैं। सो पृथ्वी काय के बाईस लाख कोड़ि कुल हैं। अप, वायु इन दोऊ के सात-सात लाख कोडि कुल हैं। तेजस काय के तीन लाख कोड़ि कुल हैं । वनस्पति के प्राइस लाख कोड़ि कुल हैं। बेन्द्रिय के सात लास कोड़ि कुल हैं। तेन्द्रिय के आठ लाख कोड़ि कुल हैं। चौइन्द्रिय के नव लाख कोड़ि कुल हैं । पंचेन्द्रिय के तही जलचर जीय जे जल ही में रहैं तिनके साढ़े बारह लाख कोडि कुल हैं। थलचर जो पृथ्वी पर विचरनेहारे दुपद, चौपद ऐसे जो थलचर हैं, सो इनके बारह लाख कोडि कुल हैं। नम में उड़नेहारे पक्षी सो नभवर हैं, तिनके दहा लाख कोड़ि कुल हैं । जे छाती होते चलें ऐसे सादि जीव, तिनके नव लाख कोड़ि कुल हैं। मनुष्यत के बारह लाख कोड़ि कुल हैं । देवन के छब्बीस लाख कोड़ि कुल हैं। नारकीन के पच्चीस लाख कोड़ि कुल हैं। रा सर्व मिलि एकसौ साढ़े सित्यानबै लाख कोड़ि कुल जानना। ऐसे इस गाथा का सामान्य स्वरूप कहा। अब इन ध्यान पासव, जाति कुल च्यारनको गुणस्थानन पै लगईश हैं। तहाँ प्रथम ध्यानकू कहिर हैं। सो प्रथम-दुसरे गुणस्थान में आर्त-रौद्रध्यान के आठ भेद हैं। तीसरे मिश्र में आर्त-रौद्र के आठ धर्म्यध्यान के एक आज्ञाधिचय रानव ध्यान हैं। असंयत में पार्त-रौद्र के आठ भेद अरु आज्ञा, अपायविचय श दोय धध्यान के | ऐसे दश भेद हैं और पांचवें में आर्त-रौद्र के आठ स्थानविचय बिना धर्म्यध्यान के तीन सर्व मिल ग्यारह ध्यान है। प्रमत्त में धमध्यान च्यारि आर्तध्यान निदान बन्ध बिना तीन र सात ध्यान हैं। अप्रमत्त में धर्माध्यान के च्यारि भेद हैं। आठ में ते लगाय ग्यारहवें पर्यन्त एक पृथक्त्ववितर्क वीचार नाम शुक्लध्यान है। बारहवें १०४
SR No.090456
Book TitleSudrishti Tarangini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTekchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages615
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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