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________________ करै, सो घ्राण इन्द्रिय प्राण है और तहाँ चक्षु इन्द्रिय अपने योग्य पंच विषयत में रंजायमान करे, सो चक्षु इन्द्रिय ।। प्रारा है और जहां श्रोत्र इन्द्रिय अपने योग्य विषय में रंजायमान करें, सो श्रोत्र इन्द्रिय प्राण है । ऐसे तौ पंचेन्द्रिय ॥१. प्राण हैं और जहाँ मन विर्षे शुभाशुभ संकल्प-विकल्प करि हर्ष-विषाद उपजावने की शक्ति, सो मनः प्राण है और वचन बोलने की शक्ति सो वचन प्रारण है और जहाँ काय विर्षे हलन-चलन रूप गमनागमन की शक्ति सो | काय प्राण है और जहाँ शरीर विषं श्वासोच्छवास लेने की शक्ति सो श्वासोच्छवास प्रारा है और जहां अनेक दुख-सवन में माता हारीत शिन्न नहीं होय, सो आयु प्राण है। ऐसे सामान्य दश प्रारण जानना। इति प्राण स्वरूप । आगे संज्ञा का स्वरूप सामान्यपने लिलिए है जहाँ वस्तु की इच्छा का क्षयोपशम होय, सो संज्ञा है । जहाँ आहार की इच्छारूप निमित्त सहित क्षयोपशम, सो आहार संज्ञा है और जहां भय का निमित्त मिले भय की इच्छा का क्षयोपशम सो मय संज्ञा है और जहाँ मैथुन की सामग्री सहित इच्छा का क्षयोपशम, सो मैथुन संज्ञा है जौर परिग्रह का निमित्त मिले परिग्रह को इच्छा सहित क्षयोपशम, सो परिग्रह संज्ञा है। ऐसे सामान्य संज्ञा कही। इति संज्ञा। आगे चौदह मार्गणा, तिनका स्वरूप ऊपर कहा है नाममात्र यहां कहिए है। गति, इन्द्रिय, काय, योग, वेद, कषाय, ज्ञान, संयम, दर्शन, लेश्या, भव्य, सम्यक, सैनी, आहार-एचौदह मार्गणा हैं। इति मार्गणा : भागे उपयोग-तहां ज्ञानोपयोग आठ प्रकार दर्शनोपयोग च्यारि प्रकार ए दोऊ दर्शनज्ञान-मिलि उपयोगके भेद बारह जानना। इति उपयोग। रोसे सामान्य गुणस्थान मार्गणानि का स्वरूप का। आगे इनहीं गुरुस्थान में मार्गणा लिखने रूप अलाप कहिए है। सो प्रथम हो गुणस्थान में मार्गणादि चौबीस ठाम (स्थान) लगाईये है। तहाँ चौथे गुणस्थान ताई तो गति च्यारि ही हैं। पंचम गुणस्थान में मनुष्य वा तिर्यंचगति है । छठेतें ऊपरिलै गुणस्थानन में एक मनुष्यगति हो जानना। इन्द्रिय मार्गणा-सो प्रथम गुणस्थान तो पंच ही इन्द्रिय धारक जीवन होय है। दूसरेतें लगाय चौदहवें गुणस्थान पर्यन्त र सर्व स्थान पंचेन्द्रिय सैनीकें होय हैं। कोई आचार्य राकेन्द्रियादि असैनी पर्वन्त जीवनकै सासादन कहैं हैं। ताकी मुख्यता नाहीं जानना । यथायोग्य समझि लैना बहुरि कायमार्गशा--सो प्रथम गुणस्थान तौ षट्काय जोवनक ही जानना। दूसरेतें लगाय चौदहवें ताई र
SR No.090456
Book TitleSudrishti Tarangini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTekchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages615
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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