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सोलहकारण वर्म ।
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इसी आधार कल बिहार प्रांत कहते हैं ।
है, जि
इस मगधप्रदेशमें राजगृही नामकी एक बहुत मनोहर नगरी है, और इस नगरीके समीप विपुलाचल, उदयाचल आदि पंच पहाडियां है। तथा पहाड़ियोंके नीचे किसनेक उष्ण : जल के कुंड बने हैं। इन पहाडियों व झरनोके कारण नगरकी शोभा विशेष बढ़ गई है । यद्यपि कालदोष से अब यह नगर उजास होरहा है परन्तु उसके आसपास के चिह्न देखने से प्रकट होता हैं कि किसी समय यह नगर अवश्य ही बहुत उत होगा।
अंतिम ( चौवीसवें ) श्रीबर्द्धमानस्वामी के समय में इस नगर में राजा श्रेणिक राज्य करता था । यह राजा बड़ा व्यायी और प्रजापालक था । यह अपनी कुमार अवस्थामें पूर्वोपाजित कर्मके उदयसे अपने पिता द्वारा देश से निकाला गया था, सो भ्रमण करते हुए एक बौद्ध साधुके उपदेश से बौद्धमतको स्वीकार कर चुका था। और बहुतकाल तक यह बौद्ध मतावलम्बी ही | रहा। जब बेजियकुमार निक बाहू तथा बुद्धिबल से विदेशों में भ्रमण करके बहुत विभूति व ऐश्वर्य सहित स्वदेशको लोटा, तो वहां निवासियोंने इन्हें अपना राजा बनाना स्वीकार किया इस समय इनके पिता उपनिक राजाका स्वर्गवास हो चुका था, और इनके एक भाई बिलांतक नामके अपने पिता द्वारा प्रदत्त राज्य करते थे; इनके राज्यकार्यमे अनभिश होने तथा प्रजा पर अत्याचार करनेके कारण प्रजा इनसे अप्रसन्न हो गई थी । इसीसे सब भबाने मिलकर इन्हें राज्यच्युत कर दिया । ठीक है राजा प्रजा पर अत्याचार नहीं कर सकता हैं, यह एक प्रकारसे प्रजाका नौकर ही है। क्योंकि प्रजाके द्वारा ही राजाको द्रव्य मिलता है, उसकी आजीविका
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