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निहियसलुध ॥ ३६ ॥ तबलणे लग्गेउं संघो, अइदुम्मणो मुणिं भणइ । केवलवल्लाहारेण वाएण तणू विणस्सिहिद | ॥ ३७ ॥ ता पसिऊणं विगई तुम्हे गिण्हेसु देहरक्वट्ठा । इय संघस्सुवरोहा, तं वयणं तेण पडियन्नं ॥ ३८ ॥
मणियं च- कयकिचेहिवि तिहुयणगुरुहिं सिरिधरियपाणिपउमेहिं । जे मन्निजद संघो आणं को तस्स लंघेइ ? 18|॥ ३९ ॥ चउमासस्स य पारण-दिम्मि पडिवजिऊण तं वयणं । वलहीनयरसमीवे, गिरिविवरे सो ठिओ साहू
॥ ४० ॥ पढमसिलोगस्सत्थं, नयचक्कस्सेस चिंतमाणो सो । साहहिं गंतूणं, उवरिजइ भत्तपाणेहिं ॥ ११॥ तयणु * चउविहसंघो आराहइ पूयणेण सुयकेल : साविहु कमसलोना निसाद राई अणइ एवं ॥४२॥ के मिट्ठा ? तो
मल्लो भणेइ वल्ला, पुणोवि सुयदेवी । छहि मासेहि गएहिं तहेव पुच्छेइ केहि समं? ॥ ४३ ॥ अवधारणाधुरीणो, 15 सोऽविहु जंपेइ घयगुलेहि समं । इय पधुत्तरसवणा सुयदेवी विम्हिया चित्ते ॥ ४४ ॥ पञ्चक्खीहोऊणं सा साहा,
मल्ल ! वंछियं अत्थं । मग्गसु मं जेण तयं । पूरेमी कप्पवल्लिच ॥ ४५ ॥ सो भणइ जइ पसन्नासचं ता देसु जिण-4 रहस्समयं । नयचक्कगंथपुत्थय-रयणं करसररुहे मज्झ ॥ ४६ ॥ सुयदेवीविहु जंपद पढमाओ चेव वरसिलोगाओ। सविसेसमग्गिमाओ होही तुह वयणनलिणाओ ॥४७॥ नयचकगंथरयणं इय दाऊणं वरं च इणमत्थं । कहिलं संघस्स तओ तिरोहिया सासणसुरि सा ॥ १८ ॥ जुयलं ॥ तत्तो मलमुहाओ कुंडाउ सरस्सईपवाहुष । नीहरि । अवइएणो नयचकमहासमुइंम्मि ॥ ४९ ॥ तस्स य माहप्पाओ स जए सजायपवरजसपवरो । संघेण वित्वरेणं पवे-18