SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 203
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मुणिपाए । बजरइ रुगधु सामिय दुरियं कथं म्हहिं ॥ २८ ।। पडिजंपेइ मुणीविहु खेयर ! मा खेयसायरे पडसु । कम्मं जं जेण कयं, तं पावइ जं सुए भणियं ॥ २९ ॥ "कडाणं कम्माणं पुधिं दुचिषणाणं दुप्पडिकंताणं र वेत्ता मुक्खो, नत्थि अवेइत्ता, तवसा वा झोसइत्ता" । पिच्छिय जो मलमइलं मुणिं मणे कुणइ जिनमयदुगंछं। सो दूसियसम्मत्तो, भवे भवे पावइ दुगंधं ॥ ३० ॥ जे संजमसलिलेणं, सम्मं पक्खालियंतरंगमला । आयासफलिहसरिसा, ते चिय निम्मलयरा भुवणे ॥ ३१ ॥ इय मुणिवयणं सुणिउं, संभंतमणा सुहमई भणइ । भय ! पावाइ मए, दुर्गछिया हा तुमे पुष्विं ॥ ३२॥ इय सा सं निंदंती, पुणो पुणो मुणिवरं तु खामंती। पडिभणिया मुणि- है। वहणा, मा पच्छे ! खेयमुबहसु ॥ ३३ ॥ एवं निंदतीए कम्मं खवियं तयं तए सवं । किंपुण एगभवेणं अवस्सभुत्तव्वयं अस्थि ॥ ३४ ॥ तत्तो सम्म सुणि केवलिणो धम्मदेसणं खयरो । तं नमिय पियाजुत्तो संपत्तो नियय-13 नयरम्मि ॥ ३५ ॥ सो पालिय पबज, निरवजं गहिय मरिय जयसूरो । सोहम्मे उववन्नो, तद्देवी सुहमईवि हुया ! ।॥ ३६ ॥ तत्तो सा चविऊणं, सुरपुरनयरम्मि सीहरहरण्णो । जाया जाया मयणावलित्ति नामेण विक्खाया | HOM॥ ३७॥ स चिय रण्णो इट्टा जं एईए चइत्तु खयरिंदे । वरिओ सयंवरम्मी पयचारीवि हु सिणेहेणं ॥ ३८ ॥ तीए पिएण अइसयपिएण विसए पर्भुजमाणीए । साहुदुगंछाजणियं, सहसा तं कम्ममोइन्नं ॥ ३९ ॥ उच्छलिओ दुग्गंधो, वणरहियाओऽवि तीइ देहाओ । जेण सयलोवि लोओ थुत्थुत्ति कराविओ अहियं ॥ ४० ॥ तीए तारिस
SR No.090451
Book TitleSamyktvasaptati
Original Sutra AuthorSanghtilakacharya
Author
PublisherNaginbhai Ghelabhai Zaveri Mumbai
Publication Year1972
Total Pages490
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy