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श्री सम्मेदशिखर माहात्म्स जम्बूद्वीपे शुभे क्षेत्रे भारते कुरूजाङ्गलः |
देशो महान् हस्तिनागपुरं तत्र महोज्ज्वलम् ।।२१।। अन्वयार्थ – जम्बूद्वीपे = जम्बूद्वीप में, शुभे = शुभ. भारते = भरत नामक,
क्षेत्रे :- क्षेत्र में, कुरूजाङ्गलः = कुरूजाड़गल नामक, महान = एक विशाल, देशः = देश, (अस्ति = है) तत्र = उस देश में, महोज्ज्वलं = अत्यधिक चिल, हस्तिनागपुरं = हस्तिनागपुर,
(अस्ति = है)। श्लोकार्थ – जम्बूद्वीप के शुभ भरत क्षेत्र में कुरूजाङ्गल एक महान् देश
है जहाँ हस्तिनागपुर नामक अत्यधिक उज्ज्वल अर्थात् कीर्ति
से धवल एक नगर हैं। सोमवंशोद्भवस्तस्य राजा नाम्ना सुदर्शनः ।
मित्रसेनाऽभवतस्य राज्ञी सुकृतसत्खनी ।।२२।। अन्वयार्थ - तस्य = उस, हस्तिनागपुर नगर का, राजा = राजा,
सोमवंशोद्भवः -- सोमवंश में उत्पन्न, नाम्ना = नाम से सुदर्शन, अभवत् = हुआ था. तस्य = उस राजा की, सुकृतसत्खनी = पुण्य की खान स्वरूप अर्थात अतिशय पुण्यशालिनी, मित्रसेना - मित्रसेना नामक, राज्ञी = रानी,
अभवत् = थी। श्लोकार्थ -- उस हस्तिनागपुर नागपुर नगर का सोमवंश में उत्पन्न सुदर्शन
नामक एक राजा हुआ था जिसकी मित्रसेना नामक रानी
अतिशय पुण्यशालिनी थी। धनदेन कृता रत्नवृष्टिः सद्मनि चैतयोः पुनः ।
षण्मासेभ्यो हि पूर्वं च प्रजाविस्मयकारिणी 11२३|| अन्वयार्थ – पुनः च = और फिर, एतयोः = इन राजा रानी के, सद्मनि
= महल में, धनदेन = कुबेर द्वारा, षण्मासेभ्यः = छह मास से. पूर्व = पहिले. हि = ही, प्रजाविस्मयकारिणी = प्रजाजनों में विस्मय-आश्चर्य उत्पन्न करने वाली, रत्नवृष्टिः = रत्नों
की वर्षा, कृता = की गयी। श्लोकार्थ - फिर इन दोनों राजा रानी के महल में कुबेर के द्वारा छह