SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 501
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४८२ श्री सम्मेदशिखर माहात्म्स जम्बूद्वीपे शुभे क्षेत्रे भारते कुरूजाङ्गलः | देशो महान् हस्तिनागपुरं तत्र महोज्ज्वलम् ।।२१।। अन्वयार्थ – जम्बूद्वीपे = जम्बूद्वीप में, शुभे = शुभ. भारते = भरत नामक, क्षेत्रे :- क्षेत्र में, कुरूजाङ्गलः = कुरूजाड़गल नामक, महान = एक विशाल, देशः = देश, (अस्ति = है) तत्र = उस देश में, महोज्ज्वलं = अत्यधिक चिल, हस्तिनागपुरं = हस्तिनागपुर, (अस्ति = है)। श्लोकार्थ – जम्बूद्वीप के शुभ भरत क्षेत्र में कुरूजाङ्गल एक महान् देश है जहाँ हस्तिनागपुर नामक अत्यधिक उज्ज्वल अर्थात् कीर्ति से धवल एक नगर हैं। सोमवंशोद्भवस्तस्य राजा नाम्ना सुदर्शनः । मित्रसेनाऽभवतस्य राज्ञी सुकृतसत्खनी ।।२२।। अन्वयार्थ - तस्य = उस, हस्तिनागपुर नगर का, राजा = राजा, सोमवंशोद्भवः -- सोमवंश में उत्पन्न, नाम्ना = नाम से सुदर्शन, अभवत् = हुआ था. तस्य = उस राजा की, सुकृतसत्खनी = पुण्य की खान स्वरूप अर्थात अतिशय पुण्यशालिनी, मित्रसेना - मित्रसेना नामक, राज्ञी = रानी, अभवत् = थी। श्लोकार्थ -- उस हस्तिनागपुर नागपुर नगर का सोमवंश में उत्पन्न सुदर्शन नामक एक राजा हुआ था जिसकी मित्रसेना नामक रानी अतिशय पुण्यशालिनी थी। धनदेन कृता रत्नवृष्टिः सद्मनि चैतयोः पुनः । षण्मासेभ्यो हि पूर्वं च प्रजाविस्मयकारिणी 11२३|| अन्वयार्थ – पुनः च = और फिर, एतयोः = इन राजा रानी के, सद्मनि = महल में, धनदेन = कुबेर द्वारा, षण्मासेभ्यः = छह मास से. पूर्व = पहिले. हि = ही, प्रजाविस्मयकारिणी = प्रजाजनों में विस्मय-आश्चर्य उत्पन्न करने वाली, रत्नवृष्टिः = रत्नों की वर्षा, कृता = की गयी। श्लोकार्थ - फिर इन दोनों राजा रानी के महल में कुबेर के द्वारा छह
SR No.090450
Book TitleSammedshikhar Mahatmya
Original Sutra AuthorDevdatt Yativar
AuthorDharmchand Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages639
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy