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________________ २२ पत्तनान्तर्बहिर्यस्य भान्त्यारामाः समन्ततः । तिन्दुकद्रुमराजयः ||५५ ।। येष्याम्रबीजपूराश्च श्रीविल्यदाडिमास्तद्वद्रम्भाद्याः फलशालिनः । पनसाश्च तथापरे ।।५६।। खर्जुराः सालतालाश्च तिलकाः काविदाराश्च देवदारूदुमाः शुभाः । तमालाश्चम्पकाश्चैव नारिकेलादयस्तद्वद् 4 थभुः सर्वर्तुफलदा श्लोकार्थ यस्य = जिस राजगृह, पत्तनान्तर्बहिः == नगर के अन्दर एवं = और, = बाहर, समन्ततः = चारों ओर, आरामाः = सुन्दर बगीचे, भान्ति (स्म) सुशोभित होते ( थे), येषु जिन बगीचों में, आम्रबीजपूराः = आम, बिजौरा, तिन्दुकद्रुमराजयः = तेंदू आदि वृक्षों की पंक्तियां, तथा च अपरे = और अन्य, श्रीबिल्वदाडिमाः उनके समान कदली आदि, खर्जुराः खजूर के पेड़, फलशालिनः = फलों से युक्त, च सलितालाः = साल व ताल वृक्ष, पनसाः = कटहल, तिलकाः सुन्दर फूलों वाले वृक्ष, कोविदाराः = कचनार के पेड़, देवदारूदुमाः = देवदारू आदि वृक्ष तद्वद् बहवः उन्हीं के समान बहुत से, तमालाः = तमाल, चम्पकाः = चम्पक, बकुलाः = मौलसिरी वृक्ष, क्रमुकद्रुमाः सुपारी के पेड़, नारिकेलादयश्च = और नारियल आदि, भूरुहोतमा उत्तम वृक्ष, सर्वर्तुफलदा = सभी ऋतुओं में फल देने वाले, हिमच्छायाहतातपाः = शीतल छाया से ताप को नाश करने वाले, बभुः = थे। शोभायमान = - = बकुलाः बहवो क्रमुकदुमाः । ५७ ।। भूरुहोत्तमाः 1 हिमच्छायाहतातपाः ।। ५६ ।। = श्री सम्मेदशिखर माहात्म्य M = · = श्लोकार्थ जिस राजगृह नगर के अन्दर बाहर एवं चारों तरफ सुशोभित सुन्दर - सुन्दर बगीचों में नाना प्रकार के फलदार, फलदार वृक्ष विशेष जैसे आम, बिजौरा, तेंदू, बेल, दाडिम (अनार), केला, खजूर, साल, ताल, कटहल, तिलक, कोविदार,
SR No.090450
Book TitleSammedshikhar Mahatmya
Original Sutra AuthorDevdatt Yativar
AuthorDharmchand Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages639
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size12 MB
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