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* जयमाला घर सम्मत बिहु सण हो, भषियण जिसवर समरणे ।
मासिप पाउ असेस सहू, उमजम दिवार विधरणे ॥ १ ॥
(राग-विराग सनातन) सुदुद्धर अंजण पुब्धय काउ, दिसाकर तासण मेह णिणाउ ।
सुदुप्प विपिंजण देउ करिंद मणम्मि भर्णता देउ जिणंद ॥ २ ॥ पसत्त समि हिय दितु समूह महावल लोल लोला विह जीह ।
सरोसण दे उप कम्म मयंदु, मणम्मि० ...... । तपाल महीलह झंपड़ सीस, दिणेसर सरिण य लोयण मीस ।
हवेई यमरण पयासुर इंदु, मणम्मि.......... विभिय वेलण हिंग्गण वेल, जलोमन जीव पसासिय शेल ।
अथाहु विगोप्पय मित सुरेन्द मणममि........" फुडंति फोडायण रूद्धय यंति, विज्ञोय खयंका शायक यति।
मग मि. . .. .... ॥ ६ ॥ दुसंचर तोरण पुन्वय दुम्गि; असंख महीरूह भीसह मग्गि ।।
___ कहेप्पणु लगाई तक्कर विदु, मन्मि ... ॥ ४ ॥ घिराण वि सक्कई तिब्ब जलंति, जगत्त उजालण साायक यति ।।
मसोम हवेई सद्दी जम चंद, मणम्मि, .. ॥ ॥
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