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________________ पंच कल्याण सुरकून गर्भाविक, मुक्ति स्मणी वशीकरण सुखारितं ॥ सजोध० ।। पत्ता:- इति गुण जयमाला, सुरभिर साला, कोटि पाप दूरी करण ।। शीतल जिन कहियं, गुखगण महियं, ब्रह्म चन्द्र एणि पेरे कहियं । पूर्व्यिम् । • श्री शांतिनाथ पूजा ॐ (भ. चन्द्रकीर्ति कुत) - रागः-भवतामर स्तोत्र की। श्री मत्सुरेन्द्र मुकुटामल रत्न रोचि, पीयूष पूर परि पूजित पाद पद्म || श्री करवान्वय नभस्तल पूर्णचन्द्रः श्री शांतिनाथ जिनपं भुवनैमहामि । जलम् ॥ अष्टादशार्द्ध निधि पूरित सब काम, सप्तदि कामर सुरक्षित रत्न नार्थ । श्री विश्वसेन तनुजं मनुजेन्द्र सेव्यं संचर्चयामि हरिचंदन केशरौधैः । चन्दतं ॥ पद खंड भूप परि संस्तुत पाद पीठं, देवेन्द्र दिव्य रमणी परिगीत कीर्तिः । संप्राप्त सर्व नयनोत्सब कारी रूपं, शान्तीश्वरं परिचरे कमलावतीः । अक्षतम् ।। प्रस्वेद विन्दु परिवजित दिव्य देह, निषेद भाव पिरलीकृत मोह गेहं ।। दुर्वार पंचशर कुंजर कुजरागि, संपूजयामि कुतुमैजिन शांतिनाथ ॥ पुष्पम् ॥ ॥४६॥
SR No.090446
Book TitlePraching Poojan Sangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Chandra Jain
PublisherSamast Digambar Jain Narsinhpura Samaj Gujarat
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size6 MB
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