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________________ ४५ ॥ +++ ॥ जय माला ॥ HH पत्ता - शीतल जिनसार है, दुखनिवार है, सुखकारी जिनवर कहियो || भव पावक हरत', शिव फल करता, परमानन्द पदते लहियो ॥ ( राम - मगुणा इन्द ) सजो० ॥ सो० ॥ सजो० ॥ शीतलं जिनवरं पूज्य शिव गामिनं, गावए गुण गया अलरा भामिनं " सजोधपुर मंड, मदन रिपु खंडणं, वंश इच्चायिकं वंशवर मंडय ॥ आयु दर पूर्व लक्ष हेमवर्ण तनुं समवशरणं वर, राजितं जिन मनु' ॥ सभा बारह प्रवि राजितं जिन वरं, वृक्ष अशोक शिर ऊपरं अम्बरं । पुष्प वृष्टि करी देव मन निर्मलं, दिव्य ध्वनि गर्जितं पाप नाश मलं ॥ तीन सिंहासनं शोभ प्रविराजितं चानर द्वात्रिंश, युगलं सुत्राजितं " सजो० ॥ छत्र, इंडेय ऊपेतं, रत्नमालावरा, चन्द्र सूरेण तं ॥ सजोधपुर ॥ कोटि सार्द्ध द्वादशं दुदुभि गर्जितं कर्म अष्टक रिपु मदन तेज तर्जितं ॥ सजी० ॥" नाचती किंकरी, देव देवी गण, तान मानं, महा भाव मान राग ॥ सजोध० || राग छत्तीस मुख, गान संगायती, हस्त वीणा लई मधुर सुखावती | सजोध देव नर नाग सुर असुर संसेवितं दुख दावानलं दुरित देवतं ॥ सजोध० ॥ 1 ४५
SR No.090446
Book TitlePraching Poojan Sangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Chandra Jain
PublisherSamast Digambar Jain Narsinhpura Samaj Gujarat
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size6 MB
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