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अभिषेक के बाद निम्न शांति।मन्त्र पढ़ते हुवे भगवान पर दूधदया जस की अखण्ड वारा करना चाहिये।
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-: शांति धारा मन्त्र :-- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अहं में हं सं तं वं वं मं में हं हं सं सं त पं पं में झं भी भी क्षी सी द्रा द्रा द्रीं द्रीं द्राक्य द्रावय नमोऽहते भगाते श्रीमते ॐ श्रीं झौं मम पापं :खंड, खंड, हन हन दह दह पच पच पाचय पाचय शीघ्र कुरु कुरू गहा।
ॐ नमोऽहं झ झवीं ली है तं झ हः प. हा ह्रीं ह्रः अमिाउसा नमः मर्वे पूजकानाम् ऋद्धिं धृद्धिं कुरू कुरू स्वाहा ।।
___ॐ द्रो द्रीं द्राक्य द्रावय नमोहते भगवते श्रीमते ठः ठः मम श्रीरस्तु, वृद्धिर पुष्टिरस्तु, शांतिरस्तु, कांतिरस्तु, कन्याणमस्तु, अस्मतकार्य सिद्धयर्थ सर्व विधम निवारणार्थ भीमद्भगवते सर्वोत्कृष्ट त्रैलोक्य नाथार्चित पाद यद्म प्रसादात सद्धर्म श्री बलायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धिरस्तु स्वस्तिरन्नु धनधान्य समृद्धिरस्तु श्री शांतिनाथो मां प्रसीद तु श्री वीतराग देवो मां प्रसीदतु श्री जिनेन्द्र परम मान्य नाम धेयो ममेहामत्रच सिद्धि तनोतु ।
ॐ नमोहने भगवते श्रीमते चितामणि पार्श्व तीर्थ कराय रस्नत्रय रूपाय अनंद चतुष्टय सहिताय धरणेन्द्र फण मण्डल मंडिताय समवशरण लक्ष्मी शोभिताय इन्द्र रणेन्द्र चक्रवादिपूजित पादपद्माय केवल ज्ञान लक्ष्मी शोभिताय जिनराज महादेवाय अष्टादश दोष रहिताय षटचत्वारिशगुण संयुक्ताय परप गुरू परमात्मने सिद्धाय बुद्धाय त्रैलोक्य परमेश्वराय देवाधि देवाय
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