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________________ ( क्षेत्र पाल स्थापनं कुर्यात ) इन्द्रायान्कनैऋतोदधिमरू-चे शेष ईशान : जावान्निव वाहनायुभवधूनयुक्तांन्सुसंस्थापिवान् । ( इति दिक्पाल मा बालम । [ सम्मन के चारों तरफ चावल के १० ढेर स्थापित कर दियालों की स्थापना करें ] आगत्य देवी जननी प्रपूज्या नित्याविभूत्या नगराज मूर्ध्नि मृगेन्द्र मीठे वर पांडु कायां निवेश्य पूर्णभिमुखं जिनेन्द्रम क्षीरोद, दोयैरमरोप नित्यैः, त्रिबंगुसच्चन्दन बन्द्र मिश्रः श्रपूरिताष्ट सह संख्यान, प्रगृद्ध सत्कंचन रत्न कुमा म: पांडुकामल शिलागत, मादिदेव-पस्तापसः सुरश; तुशैल सूनि । कामप्रह मक्षत तय पृष्येः संभावयामि पुर एव तदीयविम् ॥ || 11 [ निम्न मंगल स्तुति पढ़ते हुए के साथ भगवान बाकर विराजमान करें ] कैलाशे वृषभस्य निवृति मही- वीरस्य पारे पायां वसु पूज्य सब्जिनयतेः सम्मेद शैलेदेम् शेषायामपिचोर्यंत शिखरे, नेमीश्वर स्याहतः निर्वायावनयः प्रसिद्ध विभवाः कुर्वन्तुनो मंगलम् मंगलं भगवान् वीरो, मंगलं गौतमरे गणिः मंगल राम सेनाद्याः बैन धर्मो मंग 1 i 1 ( प्रतिमा स्थापन ) ( इति मंगल स्तुति: )
SR No.090446
Book TitlePraching Poojan Sangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Chandra Jain
PublisherSamast Digambar Jain Narsinhpura Samaj Gujarat
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size6 MB
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