________________ - - 2761 ॐ हीं नमोहते भगवत पूर्ण चलित मानाय सम्पर्म कसा पूर्णाहुति विदध्महे / (प्रति परमाहुतिः) पूर्णाहुति देने के बाद हाथ जोड़ कर निम्न शांति प्रार्थना का मंत्र पढ़े ॐ दर्पयोद्योत ज्ञान प्रालित सर्वनेक प्रकाशक भगवनईन् श्रद्धा मेधां प्रज्ञा वृद्धि श्रियं रेलं म युप्यं तेजः आरोग्य सर्व सावि विडिया पश्चात् शांति धारा देकर भगवान के चरणों में पुष्पांजलि चढ़ाकर चतुर्विंशति तीर्थकरों का तान कर पंचाग नमस्का! करे तथा अग्नि कुन्ड में से उत्तम भस्म लेकर याजक (आचार्य) स्वयं अपने ललाट पर खगाये और अन्य सबको लगाने देवे। पश्चात् प्रतिमाजी व यंत्रादिको यथास्थान विराजित कर देवों को विसर्जन करे / ॐ समाप्त