________________
+4 ७५॥
ॐ ह्रीं रखीन्द्राय स्वाहा ॥ ॐ क्रोमा
१०
इस प्रकार ३३२२६१६-१६+६+कुल १०८ आहुतियां देकर पूर्ववत् काम्य मंत्र पदकर घी की ३ भादुतियां देकर तर्पण व पर्यावण करे ।
पूर्वाना मंत्र आरंभ करते ही इसके बाद निम्न मंत्र पढ़ कर पूर्णाहूति देवे । अन्तपर्यंत जब तक मंत्र पूरा न हो वा तक अग्नि में घी की धारा करते रहना चाहिये । पूर्णाहुति में इनके अष्ट द्रव्य पान श्रीफल या सुपारी अवश्य होना चाहिये ।
॥ पूण हति मंत्र ॥
·
ॐ विधि देवाः पंच दशवा प्रसीदन्तु । नव ग्रहः प्रत्यवायहरा भवन्तु ।
मावनादयो द्वात्रिंशहवा इन्द्राः प्रषोदन्तु । इन्द्रादयो विश्वे दिक्पाला पालयंतु
अग्नीन्द्र मौन्युमवाप्यग्निदेवता प्रसन्ना भवतु ।
शेषाः सर्वेपिदेवा एते राजानं बिराजयंतु ।
दातारं तर्पयतु । संघ इलावयन्तु t वृष्टि वर्ष
तु
मारी विचारयन्तु ।
।
I
विघ्न विचात यन्तु
I