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६शा
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सुरनर तिरयंच नारकी, भारती ले मनमा रसन कपूर र मेली के सब अारती हरि जिनराय ॥ आज मेरे ॥६॥ चक्रवर्ति इन्द्र फणीन्द्रजी सुरनर मुनि सभासार अम्हेमी जिन प्रभुध्यावहिं शोमेसार सरोर तार || आज मेरे० ।। ७ ॥ मंगल गावे नरनारी, पुत्र कला सभी कोई ।
आनंद घन नव निधि पावदि शिव मुमति वधु पति होई ।। श्राज मेरे. ॥ ८ ॥ मंगल गायोरे म्हें तौ भावसुदुतो श्री जिन कागुस्पामु। मुनि शुभचंद्र प्रभुविनवे मुजने दौजो सुगति विसराम ॥ माजमेरे० ॥ ६ ॥
॥ अथ विसर्जन पाठ ॥ ज्ञानतो ज्ञानतो वाषि, शास्त्रोक्तं न कुमपा
____ तत्व पूर्ण मेवास्तु प्रसादा जिनेश्वरः ॥१॥ ग्रहाननं न जानामि नैव जानामि पूजनम् ।
विसर्जनं न जानामि चमस्व परमेश्वरः ॥ २ ॥ मंत्र हीनं क्रियाहीनं द्रव्यहीनं तथैवच ।
तत्सर्व सभ्यतां देव रच रक्ष जिनेवरः ॥ ३ ॥
||२६॥