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________________ 110) । निम्न मंत्र पढ़कर अपने मुख की शुद्धि करे ॐ नमो भगवते क्रीं ह्रीं चन्द्र प्रमाय चन्द्रेन्दु महिताय चन्द्र मूर्तिनि सर्व सुख रजिनि पुनी महे स्वाहा । (इति आम मुखाभिमंत्रएम् ) ra नेत्र पवित्रीकरण मंत्र ॐ हीं क्षौ महामुद्र कपिल शिखे हू फट् स्वाह।। (लोचनाभिमंत्रणम्) ॐउपांग पवित्री करण मंत्र ॐ नमो भगवते ज्ञान मर्ते सप्तशत चल्लकादि महा विद्याधिपते विश्व रुपाणि कौं हा ही ह्रौं संवौषट् । (उपांग पवित्री करणम्) • हृदय रक्षा मंत्र है ॐ नमो अरहताणं हृदयं ही रथ रव ह फट् स्वाहा (हृदय रक्षा) a शिरो रक्षा मंत्र ॐ नमो सश्य सिद्धाणं हर हर शिरो रच रक्ष ढ़ फट् स्वाहा ( शिरोरक्षा ) ॐ नमो पाइरियाणं ही शिखो रक्ष रक्ष र फट् स्वाहा ( शिखा रचा ) ॐ नमो उक्झापाणं एवं हि भगरती बज्र कवचं वनिणि रक्ष रक्ष ह फट् स्वाहा । (इति मुख रक्षा)
SR No.090446
Book TitlePraching Poojan Sangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Chandra Jain
PublisherSamast Digambar Jain Narsinhpura Samaj Gujarat
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size6 MB
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