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प्रथम अंगन्यास दोनों हाथों के अगुष्टों से हृदय आदि स्थानों को स्पर्श करने की क्रिया को अगन्यात कहते हैं ।
ॐ ह्रीं णमो अहंताणं स्वाहा । ( हृदये ) ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं स्वाहा । ( ललाटे ) ॐ हूँ, णमो पाइरियाण स्वाय ( शिरसो दक्षिणे ) ॐ ह्रौं एमो उवज्झायाणं स्वाहा (शिरसा पश्चिमे ) ॐ ही लोए सब्द साहणं स्वाहा ( शिरसो बामे )
* द्वितीय अंगन्यास * अनंतर ऊपर के मंत्रों को फिरसे पड़ते हुवे निम्न प्रकार इसरा अगन्यास करे ।
ॐ ह्रां णमो अरहताणं स्वाहा ( शिरस: मध्ये ) ॐ ही णमो सिद्धाणं स्वाहा ( शिरसः आग्नेय भागे ) ॐ हामो आइरियाणं स्वाहा ( शिरस नैऋत्य भामे ) ॐ ह्रौं णमो उपज्झायाणं म्वाहा ( शिरसः वायव्ये ) ॐ हा मो लोर सञ्चसाहणं स्वाहा (शिरसः ईशाने )