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________________ || ६|| जन्माभिषेक कल्याण, कारिसी परमेश्वरीम् ॥ पूजयामी महाभक्तया, पुष्टि पुष्टि विधायिनीम ॥ ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं सुनर्णणे चतुभुजे पुष्प कमल हस्ते पुष्टि देवी प्रागच्छ २ बलि मृहाय २ जलं मुंच २ स्वाहा । ॐ हीं पुष्टिव्यः जलं गंधमित्यादि ॥ (विसर्जन मंत्रः) इथंच देवताः सर्गः पूजिताच मयाधुना । सर्वाः मम प्रतिदन्तु सर्व कन्याण दायिनः ॥ इति विसर्जन मंत्रः । पश्चान्नारिकेलं सहित पूजोपहार जलमध्ये संत्यज्य, यंत्र संनिधौ धौत मध्यजलेन कुभान् संभृत्य तिलकं कुर्यात पश्चात् शर्करा दुग्धे प्रक्षिप्येते तदनंतर अष्ट विधार्चनं क्रियते । पश्चात् महोत्सवेन चैत्यालये समानीया। ॥ इति जलपात्रा संपूर्णम् ॥ 6 सकलीकरण विधानम् 19 सर्व प्रथम पूजा या विधान करने वाला स्नान कर शुद्ध होकर श्रो जिनेन्द्र भगवान के सन्मुख निम्न मन्त्र का १९०८ बार जाप्य करके आत्म शुद्धि करे । ॐ ह्रीं णमो अरहताण, ॐ हीं मो सिद्धाणं , ६.
SR No.090446
Book TitlePraching Poojan Sangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Chandra Jain
PublisherSamast Digambar Jain Narsinhpura Samaj Gujarat
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size6 MB
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