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________________ - २.२३॥ १८६ N UUUU १८६ १४ चतुर्दश मल त्यक्ताहार मुनि मंत्र ॐ हीं पूयमलातिरिक्ताहार ग्राहक मुनिभ्यो नमः । " अस मल रहित आहार ग्राहक मुनिभ्यो नमः । " पर मल रहित पिण्ड विशुद्धये नमः । , अस्थि मल रिक्त पिंड विशुद्धये नमः । , चर्म मल रहित पिण्ड विशुद्धये नमः । , नरव मल रदित पिण्ड विशुद्धये नमः । ,, कच मल रहित पिण्ड विशुद्धये नमः । मृत विकलत्रिक मल रहित पिंड विशुद्धये नमः । i, मरणादे कंदमूल त्यक्त पिण्ड विशुद्धये नमः । , यब गोधूमादि बीज मत रहित पिण्ड विशुद्ध्यै नमः । , मूल मल रहित पिण्ड विशुद्धये नमः । , बदर्यादि फल मल रहित पिण्ड विशुद्धये नमः । , तुष कण मल रहित पिण्ड विशुद्धये नमः । , कुडमा रहित पिड विशुद्धये नमः । । इति अनंत निर्माण मन्त्राधिका RRRRRE - १६४ १६५ १६६ 11२०५
SR No.090446
Book TitlePraching Poojan Sangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Chandra Jain
PublisherSamast Digambar Jain Narsinhpura Samaj Gujarat
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size6 MB
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