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________________ २०६॥ * अथ महाभिषेक * " श्रवय असया, घट्ट सहरसाइ अट्ट कोडी ऊ रक्खंतु मे सरीरं देवासुर पणमिया सिद्धा ।। १ ।। भात्मांग प्रत्यंग परामर्शन मन्त्रः ॐ अर्हमुख कमल वासिनी पापांत कारिणी भूत ज्याला महत्रा प्रज्वलिते सरस्वति मम पापं हन हन दह दह चाँ चीं तूं चौं नं नीर घवले अमृत संभवे वं फट् स्वाहा fl ॐ नमो वायु मृदुनात्मना ह्र फट स्वाहा अथ शची करण विघा द्वय मन्त्रः कुमाराय सर्व विघ्न विनाशनं महीं पूतां कुरुम्वाशु सुगन्धी ( इति भूमि संशोधनम् ) ॐॐॐ प्रज्ञालपामि भूभाग, पृष्ठि नाग सहस्त्राणि मनपाम्यहं ॥ भूतलेस्मिन्चरंति ये 1J तेषामाह्राननाय च सेर्पा संबोधनापात्र, प्रसिचामृतेने मां भूमि सम्मार्जयाम्यहम् # I (भूमि संमार्जनं ) २०६ 4.4
SR No.090446
Book TitlePraching Poojan Sangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Chandra Jain
PublisherSamast Digambar Jain Narsinhpura Samaj Gujarat
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size6 MB
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